Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
ज़िस्म की..
आग़ भडक़ती है...
वो बुझ़ भी जाती है।

इश़्क की लौ..
द़िलों में जलती है...
सदा-सदा के लिये।।

◆◆◆

हद़ें तलाश..
ना कर, उसकी...
हयात-ए-फ़ानी में।

अज़ल हैं..
रूह के रिश्ते हैं...
दो ज़हाँ के लिये।।

●●●
©deovrat 28-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
जब दिल में आ गये हो,
अब समझो यही ठिकाना।

ये एक तरफ़ा रास्ता है,
अब ज़ाना है भूल जाना।।

◆◆◆

श़ाम-ओ-सहर महीने,
ना सालों का जिक्र करना।

रिस्त़ा-ए-ज़िन्दग़ानी,
जनम-ओ-जनम निभाना।।

●●●
©deovrat 24-06-2018
*English translation will be posted shortly.
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
बेग़रज़ मुहब्बत के,
*मुख़तलिफ़ उसूल होते हैं। (अल़ग)

वो जो भी फै़सले करें
मुसलसल कब़ूल होते हैं।।
◆◆◆

इस कैफ़ियत की चाहत,
गोया कि *अल-वाहिय़त।(आलौकिक होना)

इसको ना इश़्क कहिये
यें ही सच्ची इब़ादतें हैं।।
●●●
©deovrat 23-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
जख़्म खाके..
मुस्कराने का चलन...
अब आम़ हो चला है।

ग़ोया कि..
होस़ला-ए-जब़्त-ए-सित़म...
हद पार हो चला है।।

◆◆◆

जिस ग़म..
की  पनाहों में तब...
उसका सक़ून-ए-दिल था।

वो उस..
ग़म-ए महफ़िल से...
दिल-ए-बेज़ार हो चला है।।

●●●
©deovrat 22-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
यूँ खो ना जाना तू कहीं,
ख़्वाहिश-ए-हज़ूम में।

जो मिला है, सो तेरे पास है,
ना वो खो देना ज़नून में।।

◆◆◆

भरोसा-ए-ज़िन्दग़ानी कुछ नही,
इस लिये बस होशला रख जो़श में।

ना अब  देर कर, उठ चल संभल जरा,  
सौंप दे खुदी को, उस प्रभु के हज़ूर में।।

●●●
© deovrat 21-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
दिल ने यूं ही बेशाख़्ता,
कर ली है शनाशाई।

पशेमां हो के भी उनसे,
ना हो पाया वो हरज़ाई।।

◆◆◆

परश्तिस करने का ज़ज्बा,
कहें या शोक-ए-इबाद़त।

सदा को हो गया उसका,
वो उसकी हो नही पाई।।

●●●
©deovrat
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
द़रख्तों में छुपा है या तो फिर अब्र में कहीं।
महताब से रोशन  है आसमान और जम़ीं।।

या मुझ से हैं अद़ावतें या कुछ ओर बात है।
रोश़न वो चाँद मेरा, कहीं पास है यहीं।।

बाअद़ब चला करो, मिरे गु़लशन मे हवाओं।
उसकी रेशमी ज़ुल्फों से लिपटना नही कभी।।

वो श़ोख हैं, क़मसिन है, ऩूर-ए-हयात है।।
नादानियों से अपनी, सताना नही अभी।।

द़रख्तों में छुपा है या तो फिर अब्र में कहीं।
मह़ताब से रोशन  है आसमान और जम़ीं।।

●●●

©deovrat 16-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
उफ़ तक ना वो कर सका,
जब सर क़लम हुवा।

होठों पे तबस्सुम सा था,
विसाल-ए-यार का।।

◆◆◆

तस्सवुर-ए-प्यार में वो,
खोया था इस क़दर।

दोनो जहाँ से दूर था वो
अपने दिलबर के पास था।।

●●●
© deovrat 11-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
तू दूर रहे या पास..
ना होना कभी उदास।

तेरे ख़्वाबों की त़ाबीरों में..
मेरे इश़्क का साया है।।

◆◆◆

तेरे नयनों के दर्पण में..
मैने खु़द को पाया है।

तूने ही तो ज़ीवन में..
मुझे प्यार सिखाया है।।

●●●

©deovrat 14-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
ज़मीं की धूल से उसने
ज़बीं अपनी सजाई है।

ग़ुलों को छोड़ के कांटों  
से कर ली आश़नाई है।।

◆◆◆

अज़ब सा शौक है या
कहें ये उसका पाग़लपन।

जु़बां खा़मोश है जब से
नज़र उनसे मिलाई है।।

●●●
©deovrat 10-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●

चाँद बदली से जब निकला
तो आँखें चार हो गयी।
◆◆◆

उस से नज़रें उलझ गयी
मेरी उलझन सुलझ गयी।।
●●●

©deovrat 09-06-2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
इक ल़महा गुज़र जाये
तो बड़ी बात है समझो।

हमने ने तो कई साल
गुज़ारे हैं हिज़र में।।

◆◆◆

वो  ख़्वाब में ना आते तो
श़ुकून-ए-शब नश़ीब था।

वो क़ब्ल से हर वक्त
ही रहते है नज़र में ।।

●●●

© deovrat 06.06.2018
 Jun 2018
Deovrat Sharma
●●●
अब तलक..
सूखी नदी थी जो...
वो फिर से समन्दर हो गयी है।

लब प हलकी सी हँसी है और
चश्म-ए-पुरनम हो गयी हैं।।

●●●

©deovrat 05-06-2018
Next page