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Mohan Jaipuri Jan 2020
जीवन की खुशफहमी
यह है कि जब ऊर्जा होती है
तब वास्तव में समझ नहीं होती
और लगता है मैं सब जानता हूं।

फिर जब समझ नायाब बन जाती है
और लगता है कि
मैं सब कुछ कर सकता हूं
तब वास्तव में पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती है।

यानी कि जब वक्त होता है
तब उसका मूल्य ज्ञात नहीं होता
और जब मूल्य समझ में आता है
तब तक वक्त निकल जाता है
यही जीवन का द्वंद्व है
जिसको समझना अपूर्ण ही रहता है।
Mohan Jaipuri Sep 2020
आज के जमाने में
लोग स्वार्थ से जुड़ते हैं
परमार्थ के नाम से
दूर भागते हैं
पर मानवता कि नींव
परमार्थ पर टिकी है
शायद इसीलिए जीवन की
रंगत बहुत फीकी है।।
Mohan Jaipuri Dec 2020
सफलता के लिए
ईश्वर का स्मरण व
स्वयं का पुरुषार्थ
खुशी के लिए
माता-पिता का
सदैव सिर हाथ
सम्मान के लिए
परिवार का साथ
अन्यथा भटकना
है यहां‌ अकारथ।।
HBD Vivek my son and the above message for you with blessing.❤️❤️❤️❤️❤️
Mohan Jaipuri Aug 2024
इडली- सांभर ,‌दही कुल्हड़
पनीर और पुदीना चटनी
फूलों में दिखता तेरा चेहरा
शुभकामनाएं लगती हैं
अब बस जीवन‌संगिनी।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
कोविड की विपदा में
हम हैं सही मिलन पर
    आज तक हमने ना
     पाया ऐसा अवसर अद्भुत
     पहली बार मिलकर यहां
     मन हो रहा गदगद
दृष्टि केंद्रित हो गई है
आप के ललाटों पर
      कुछ आज आए हैं
      बाकी अगली बार
      उम्र भर यूं ही हम
      जोड़े रखेंगे तार
बढ़ गया है खून पाव भर
मिलकर आज जूम पर
Had a nice quality time on zoom meeting with my engineering batch mates.
Mohan Jaipuri Sep 2020
हिंदी वालों को हिंदी में
अंग्रेजी वालों को अंग्रेजी में
कईयों को टनों में तो
कईयों को किलो में
यों ही लूटाते जायें
सदाचार की खूशबू‌
इस जहां में
शायरी तो इसलिए
करते हैं‌ कि खोज
सकें कोई रहबर इस
जीवन जंग-ए-मैदान में
झुमका देखूं रे जब - जब किसी
सुन्दरी के कान में
मुझको वो दिन याद आते हैं जब
छूटता था पसीना सोनी की दुकान में 😀।।
Mohan Jaipuri Dec 2024
खुशियां झूठ हैं
दर्द अटूट
समझा जिसने
वो गया छूट।।
Mohan Jaipuri Oct 2020
टिबों में रहते - रहते,
अब मैं खुद एक टीबा बना
तुझसे बिछुड़ने के बाद से ,
यह भेद मैंने जाना।
Mohan Jaipuri Jan 2022
ऐ ठंड छोड़ दी
मैंने जिद्द नहाने की
डर कर तेरे प्रकोप से
अब तो बरत कुछ राहत
चल रही‌ है नाक
अकड़ रहे हैं हाथ
जब होती है प्रभात
सड़कें मिलती हैं सुनसान
खामोशी हर तरफ ऐसी
जैसे उजड़ गया हो गांव
ना कोवों की कांव
ना‌ नलों में सांय सांय
भांप कर अजीब ये नजारा
मैं दुबका रहता बिस्तर
सब से मुंह मोड़
जाने को आई जनवरी
अब तो पिछा‌ छोड़।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
जब सहता है जीवन रिश्तों की धूप
बेटी आती तब बनकर ठंडी बयार

घिर जाये जीवन कभी किसी व्याधि से
हर कोई देखे निराशा, शंका आदि से
धैर्य और मुस्कान से तब भी
काम लेती बेटी रूपी ठंडी बयार

जमाना हर मोड़ पर ढहाता है कहर सा
मुश्किलें खड़ी हैं मुंह बाये डायन सुरसा
लेकर नाम भगवान का तब भी
हिम्मत देती बेटी रुपी‌ ठंडी बयार

कहता है हर रिश्ता बारंबार
आपके जीवन में भी आएगी बहार
पर मैं कहता हूं वो बेटी का उल्लास
ही है मेरे जीवन की ठंडी बयार
#best wishes of daughters day to all HPians.
Mohan Jaipuri Mar 2023
नारी ही‌ शक्ति है नर की
पूरी दुनिया कायल है
उसके अद्भुत हुनर की
जमाना है अब डिजिट का
अछूती ना रहे कुंजी कम्प्यूटर की
नारी शक्ति के हाथ से
अगर पिछड़ना नहीं है
नवाचार की रफ्तार से ।।
Mohan Jaipuri May 2024
मत तन्हाई की बात करो
जरा इस पर‌ भी गौर करो
मयखानो ने बोलने की आजादी दी
आंखें मिलीं तो खामोश हो गया।।
Mohan Jaipuri Sep 2024
तेरी तस्वीर पर लिखते हैं
तो हम खिल उठते हैं
बिन तस्वीर लिखते हैं
तो तेरी रूह से मिल लेते हैं।
Mohan Jaipuri Jun 2020
जब जब तुम आंखों में काजल लगाती
तब तब जीवन गति का बोध कराती
लगे आंखें ना हों, जैसे हों तारे
प्रतिक्षण बदले चमक ये नैना तोरे
मैं बस देखूं तो लगे जैसे
तूने कैनवास पर भाव उकेरे
नैनो की डोर से मैं कब बंध जाता
इसका मुझको ना आभास हो पाता
दिल का हाल कहने से
इनको मैं रोक न पाता।

जब जब तुम लिपस्टिक लगाती
लालिमा इंद्रधनुष जैसी बिखरा देती
फूलों का लब आभास कराते
पर मेरे मन में शोले भरते
बस मैं तुम्हें देखता रहता पर
नजरों को मैं दिल की बात कहने से
कभी रोक न पाता।

जब-जब तेरे खुले बाल लहराते
चेहरे में तेरे नया रंग भर जाते
फिसल फिसल कर गाल चूमते
हम रह जाते हाथों को मलते
मुंह मेरा खुल खुल जाता
दिल की बात कहने से
इसको मैं रोक न पाता।
Mohan Jaipuri Oct 2020
यह तोंद ही है
जो चेहरे से पहले
नजर आती है
खुराक का मिजाज
बयां कर देती है
एक बार अगर
आ गई तोंद
सौंदर्य को
देती है रोंद
समय रहते
संभालो तोंद
वरना बीमारियां
लगा लेंगी सेंध
Mohan Jaipuri Jan 2019
दस साल बाद  मौका आया
जब जुकाम ने ऐसा हिलाया
आज फिर छठी का दूध याद आया
फर्क बस यह है कि उस समय अपने पास थे
आज अकेला छत को ताक रहा हूं
बीते वर्षों के कहर याद कर रहा हूं
क्यों तकलीफ में यादें नागिन सी जवां होती हैं
और धीरे-धीरे डसती हैं
क्यों मुश्किल समय में हम यादों का पीछा करते हैं
और अपनी मजबूती को बंधक बना देते हैं।
Mohan Jaipuri Oct 2024
दर्द की बात करें तो सुने कौन?
दीवारों से कहें तो वो हैं मौन।
कोलेज के साथियों को सुनाएं
वो एक से एक पहेलियां बुझाएं
शायद वो भी डरते हैं
कहीं उनके दर्द छलक ना जाएं। दर्द की बात...
बच्चों को क्या मालूम
दर्द क्या होता है?
उनको तो लगता है दर्द गर होता भी हो
नींद आते ही मिट जाता है। दर्द की बात...
हास्य-व्यंग में लिखकर उड़ाएं
तो उपहास बनने का डर सताए
ऐसा ना हो कि कोमेडी करते रहें
और पूंछ में आग लग जाए। दर्द की बात...
शायरी का ठीक है काम
दर्द को समेटना इसके नाम
कोई पढ़े तो ठीक है वरना
आपको तो मिल ही गया आराम।
दर्द की बात करें तो सुने कौन?
दीवारों से कहें तो वो हैं मौन।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
मौसम आज सुहाना है
टपकती बूंदों के बीच
सुरमई उद्यान मेरा ठिकाना है
बाहर बूंदों की टिप-टिप
अंदर दर्द विरहाना है
ऐसे में तेरे आने का संदेशा
रोमांच का खजाना है
तेरी एक झलक पर ही
छलक जाना आज पैमाना है।।
Mohan Jaipuri Nov 2024
राब्ता इस तरह रहा तुझसे
टोका वक्त की बंदिशों ने
समझा तूने अनकहे ही तो
दामन को दर्पण बनाया मैंने।।
Mohan Jaipuri Aug 2024
यह दिन‌ भी  रंग बदलता है
मुझे रोज आगाह करता है
सुबह सुर्ख लाल
जैसे बाल के गाल
छिपे हों आंचल लाल।
दोपहर में सफेद
जैसे पुरुषार्थी का भेष
तपकर करता सजीवों का पोषण
देता श्रम का संदेश।
बरसात से पहले
बन जाता शांत जैसे योगी
फिर मचाता शोर
लुटाता खजाना जैसे कोई भोगी।
सायं शांत सा समा जाता
काली रात आगोश
याद करते हुए जैसे बीते समय के रंग
और मांग रहा हो फिर सुबह का जोश
यह दिन‌ भी  रंग बदलता है
मुझे रोज आगाह करता है ।।
Mohan Jaipuri May 2022
झील किनारे एक घना वन
देख खूबसूरती लगे यों जैसे
यह है तेरे मेरे दिल का बंधन।।
Mohan Jaipuri Nov 2024
मिलकर मन हर्षाए
दिन पल में बदल जाए
मन जूगनू बन जाए
और चमक आंखों आए
रिश्ता यह दिल का कहलाए ।।
Mohan Jaipuri Apr 2021
बहुत गीले तुझको भी हैं
मुझको भी हैं मेरी जाना
नहीं रूकता फिर भी दिलों
का एक-दूसरे के लिए तड़पना
अगर गुजरना पड़ा इस बियाबान से
यों ही कभी तन्हा तो भी रूह कहेगी
जरा उसकी गली से होकर लेना।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
तूने जाते-जाते किया कमाल
दिया पेंटिंग तोहफा बेमिसाल
दिल जीत ले गया अपने नाल
शुक्रगुजार हैं हम समय के
साथ हमारे रहा इकबाल।।
Mohan Jaipuri Nov 2020
जिसने भूत को छोड़कर
वर्तमान में जीना सीखा है,
वह यह नहीं देखता
कि पीछे छूटा क्या है?
रूह उसकी कभी टूटती नहीं,
जिसका खुदा खैरख्वाह है
दीपक का काम‌ है प्रकाश देना
भले ही खुद का पैंदा स्याह है
मेरे दुर्गुणों का हिसाब न रखना
उनका फल मुझे ही मिलना है
मेरे सद्गुणों को ही याद रखना
यही मेलजोल की एक राह है।।
Happy Diwali " the festival of lights in India today" to all HPians. Wish you all stay safe and healthy.
Mohan Jaipuri Dec 2020
दिसंबर की धूप
लगती दुल्हन का रूप

       रहती कोहरे के
     घुंघट में सिमटी सी
    निकलती लंच के समय
       शरमाती सी
सरकती ऐसे जैसे
मेहंदी वाले पांव सरूप

       देती है बस एक
      अबोली झलक
      जाना हो जैसे
     उसे पीहर तलक
कर जाती है हवाले ठण्ड के
जो रहती सीने में कसक स्वरूप।।
Mohan Jaipuri Jan 10
इस कदर तेरे दीद से नाता
और संदेश का फाका है कि
जब तेरे प्रोफाइल से गुजरे तो
बिन कुछ लिखे जा नहीं पाया ।
Mohan Jaipuri Sep 2020
सबसे बड़े दीन हैं वो जो
- कमाते हैं पर वक्त पर उनको रोटी नहीं
- परिवार वाले हैं पर वे सुनते नहीं
- रात में भी सो सकते नहीं
- सच्चे हैं पर उनकी कोई सुनता नहीं
सबसे बड़े धनवान वो हैं जो
- रोटी के लिए ही कमाते हैं
- परिवार के संग जीवन बिताते हैं
- स्वाभाविक गहरी नींद सोते हैं
- सांच झूठ से इत्तर व्यवहारिक होते हैं
Lessons of life
Mohan Jaipuri Apr 2021
यह दुनिया ऐसी महफिल है
जहां दूसरे तमाशबीन बनते हैं
अपने भलाई की दुहाई देकर
दामन ही जला डालते हैं।।
Mohan Jaipuri Jul 2022
ये फूल, कलम और कागज
बना‌ता हूं इनसे रोज ख्याली दुनियां
रंग तो जिंदगी में तभी है
जब साथ हो दुल्हनियां
जवानी‌ हो तो ठंडा करे
बुढ़ापे ढक ले मजबूरियां।।
Mohan Jaipuri Jul 2024
दूज का हुआ तो क्या हुआ
है तो तू चांद
रख धैर्य और बढ़ आगे
पूर्णिमा को मान।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
उस चाय की अलग‌‌ है बात
जो सुबह हो तेरे साथ
एक हाथ में चाय का कप
दूसरे हाथ में मोबाइल
जिसमें चमके तेरा चेहरा
और बनूं उसका भौंरा।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
हर रिश्ते में कोई न कोई पर्दा है
कोई ना कोई अदृश्य किस्सा है
ये दोस्त ही हैं जिनको देखकर
लगता‌ है वो‌ जिश्म का हिस्सा हैं
Mohan Jaipuri Oct 2021
दोस्त वह जो दिल को जाने
रिश्ता वह जिसकी अनुपस्थिति
को दिल कभी ना माने।।
Mohan Jaipuri Jan 2024
आज सिमट रहा हूं
मैं अपने वजूद में
देखकर पीछे छूटा अरसा
कुछ ख्वाहिशों ने चलाया
कुछ जिम्मेदारियों का फरसा
उठा , गिरा फिर उठा
उठा पटक की वर्षा
जीत मेरे हिस्से आई
जितनी दिल फेंक को प्यार
दोस्तों से  जो कुछ सीखा
वही आचरण में है सुमार
इंतजार घरवाले करते हैं
दोस्त तो उठा लेते हैं यार
कड़वी को पी लेते दोस्त
मीठे मिला‌ दे कड़वा
मीठी -कड़वी सुनकर इनकी
हर्षित है मेरा मनवा।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
दोस्त भी आजकल
दारू की तरह हो गए
चांदनी में हसीन
सपने बेचते
धूप में बोली से
खजाने भरते
जो वक्त ना समझे
उसके हिस्से में
"माफी" आए
सुनकर इसको
कोई क्यों चकराए।।
Mohan Jaipuri Dec 2020
दिल में दहशत
सांसों‌ में‌‌ सांसत
दो‌ हजार बीस की
ये कैसी वहशत ?
Mohan Jaipuri Dec 2023
धुआं धुआं सी जिंदगी
धुआं धुआं सा समां
धरती के दु:खों से ही
झुका हुआ है आसमां।।
Mohan Jaipuri May 2021
कभी होती थी सांत्वना थेरेपी
सहारा बन के देते थे प्रेरणा थेरेपी
अब आई है झापड़ थेरेपी
उस पर रोना थेरेपी धै तेरे की।।
Mohan Jaipuri Jan 2020
बिन लहरों के कैसा सागर
खुशियां मिलना
सुबह की मानिंद
बिन‌ रैना‌ कैसा
दिन का आनंद
विवेक का मंथन
विपदा पर निर्भर
बिन बाधा‌ कैसा
धीर उजागर
बिना लहरों के
कैसा सागर।

मेहनत और चिंतन
आपका कर्तव्य
असफलता से अविचलन
आपका धैर्य
धैर्य है सफलता का सोपान
बिन धैर्य कैसा
विवेक उजागर
बिन लहरों के
कैसा सागर।।
Mohan Jaipuri Jun 2024
नखरे तो वो जलवा हैं
जिनके बिना ग्लेमर बयां कहां
जो उठाए प्यार में नखरे
उसका प्यार रहे सदा जवां।।
Mohan Jaipuri Apr 2020
वह जो हैं
नजरों में हमारे
उन्होंने ही
दिलो-दिमाग उजाड़े।
Mohan Jaipuri Jan 2024
बच्चे नटखट कार्य से
बुजुर्ग नटखट दिल से
बात दोनों एक ही है बस
बच्चों के बाल आने वाले
बुजुर्गो के जाने वाले।।
Mohan Jaipuri Oct 2024
नाकामियां भी लाजमी हैं
जीवन जीने के लिए
क्योंकि कामयाबी आगाह नहीं करती
अपने आवागमन के लिए ।।
Mohan Jaipuri May 2019
नेता उस समय बहकता है
जब करने को कुछ ना होता है
किस्मत ईवीएम में बंद होती है
और गिनती आसन्न होती है
मीडिया आभासी गुबार बनाता है
तब दावतों का अंबार शुरू होता है
इनका मिलन देख‌ के लज्जा से
शरमा जाये नदियों का‌ संगम
इनके मन की भावना देख
लज्जा जाये लंकापति रावण
ये ना कभी सच स्वीकार करते हैं
ना झूठ से आजीज आते हैं
ना कभी समर्पण करते हैं
बस नए स्वांग रचते हैं
दो-चार झूठे फंसाद करते हैं
उसी से नए-नए लगने लगते हैं
इनके फन की फिर से
जय जयकार होने लगती है
फिर नोट हो या वोट हो
उसकी फसल कटती है
आम आदमी देख ये नाटक
दुबका दुबका रहता है
सब कुछ देख सह कर भी
हमेशा अनजान बना ही रहता है।
Mohan Jaipuri Nov 2022
दक्षिण से शुरू एक संदेश
"भारत जोड़ो" जिसका नाम
बच्चे, बड़े और बुजुर्ग शामिल हो
फैला रहे हैं एक पैगाम
भारत देश की खूबी है
अनेकता में एकता
गहराइयों तक डूबी है
सड़क पर उतरें मां-बहनें
समझो बड़ी‌ मजबूरी है
मंहगाई और बेरोज़गारी
इस वक्त सब पर भारी है
भूखे प्यासे जब हों इकट्ठा
समझो  बात अब न्यारी है
भावनाओं के‌ सागर में
डूबे हमेशा अंहकारी हैं
शब्दों से ना करो आखेट
करोड़ों का खाली है पेट
करोड़ों हाथ बिना काम
कहां जायेंगे चढ़ बुलेट
जागो जागो अब भी जागो
कहीं और हो जाये ना देरी
प्रजातंत्र की रणभेरी
ना तेरी है ना है मेरी।।
Mohan Jaipuri Dec 2024
ज्योतिषी बन हाथ देखना
वह तो एक बहाना था
कइयों को जलाना था
बनाना एक फ़साना था
गुड़ देख मक्खी की तरह
मुझे भी हाथ चिपकाना था
सहेलियों के कहकहों के बीच
तेरा वह नजाकत से हाथ छुड़ाना
भरता हुआ मेरा जिंदगी भर का
रोमांस का नायाब खजाना था।।
Mohan Jaipuri Sep 2024
नारियल प्रिंट पहनूं
नारियल पानी लाऊं
तेरे  हाथों से पीकर
किस्सा हसीन बनाऊं।

हाथों में हाथ डालकर
'बीच' किनारे टहलूं
पहलू में तेरे बैठकर
गोवा की रंगत पाऊं
वर्षों की जिंदगी की
पलों में थकान मिटाऊं
नारियल प्रिंट पहनूं.....।

हवाओं के विपरीत सही
तेरे संग नौका एक चलाऊं
पहन बरमूडा घूम-घूमकर
बचपन को फिर से बुलाऊं
चलता रह राही कहलाऊं
बैठ किनारे  ना लजाऊं
नारियल प्रिंट पहनूं ......।।
Mohan Jaipuri Oct 2020
कवियों की भी अजीब आदत है
यदि सामने हो मोहब्बत तो
तलाशते हैं उसके लिए उम्दा शब्द
जब मिल जाते हैं शब्द तो
लगते हैं उनको कविता में पिरोने
और हो जाते हैं नि:शब्द
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