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Mohan Jaipuri Oct 2024
उम्र बियासी आईं
हुनर तरासती
मिल अमिताभ से
यों बतियाती
मैं बदनाम थी
तूने ख्याति दी।

# HBD
Mohan Jaipuri Nov 2020
माना चारों तरफ मंदी है
ऊपर से कोरोना काल
मिलने की अभी सूरत नहीं
अकेले पड़े हैं निढाल
ऐसे में सोशल मीडिया
पर ही महफिल सजाओ
ले तकनीक की ढाल
खुद को इतना मजबूत करो कि
डरा ना सके ये जाड़े का जंजाल
सारे शायरों जवान हो जाओ
श्रोता और पाठक हो‌ जायें निहाल।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
बुढ़ापा नहीं यह है उम्र सुनहरी
थोड़ा सा अपनापन दो और
देखो यह  सयानेपन की ढेरी ।।
Mohan Jaipuri Jun 2020
स्वागत बूंदाबांदी का
भीषण गर्मी में ही होता है
बरसात के बाद तो
बूंदाबांदी महत्वहीन लगती है
यह समझने में बहुत समय लगता है
कि बरसात के बाद की बूंदाबांदी
हर सजीव के जीवन में नया रस भरती है

जवानी की तपिश में भी
रूमानियत बूंदाबांदी की तरह होती है
तब पौरुष की बरसात तो घर संसार
बसाने में ही खर्च होती है
अधेड़ अवस्था ही बचती है
जिसमें कुछ रूमानियत और
कुछ रूमानियत की यादें
जीवन में उल्लास भरती हैं
बिखरते मेले की मायूसी दूर करती हैं
लेकिन यह क्या ? दुनिया इसे
सठियाना कहती है
और यह बरसात के बाद की बूंदाबांदी
की तरह गंदगी लगाने वाली लगती है
लेकिन उन्हें नहीं पता कि यही
वह बरसात के बाद की बूंदाबांदी है
जो हर सजीव के जीवन में
उल्लास भरकर नया रस बनाती है।
Mohan Jaipuri Jan 2020
बेलन की सुनो व्यथा
इसकी भी है अपनी कथा
गीले आटे को आकृति देता
कभी रोटी ,कभी पराठा बनाता
रोटी खाकर तृप्त होते
गृहिणी का गुणगान करते
पर बेलन को याद नहीं करते।

जैसे ही गृहिणी का बिगड़े मिजाज
सबसे पहले उसे बेलन की आए याद
इस दु:ख की ना कहीं फरियाद
भाई लोगों यह बात रखो याद
अब बेलन बना हथियार
इससे होगा अब अत्याचार
अब बेलन ही रहेगा याद
सोच लिया इसको करेंगे बर्बाद।

ना बेलन के बिना रोटी बनती
ना बेलन चलाने वाली दाल‌ गलती
इसलिए है बस रिश्क में जीना
समझो बेलन को प्रीमियम और
बेलनवाली को जीवन बीमा
इसी से चलता है यह जीवन
कभी तेज और कभी धीमा-धीमा।।
Mohan Jaipuri Dec 2024
एक बच्ची को‌ कंस ने मारा तो
वह आकाश की बिजली बन गई
वर्षा के समय खौफ पर्याय हो गई
हमने मारी  हैं कोख में लाखों बेटियां
शायद वो सब पाताल भैरवी से लड़ गई
और हमारी वंश वृद्धि सवाल बन गई।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
दिल्ली हो या हाथरस
दो हजार बारह हो
या फिर दो हजार बीस
बेटियों के लिए मुफीद नहीं
अब यह अपना देश।

तोड़ना पीड़िता की
रीढ की हड्डी का हाथरस में
भरता है आक्रोश नस नस में
और साबित करता है
रीढ विहीन हो‌‌ गया है
अब यह अपना देश ।

कानून चाहे कुछ भी करे
संस्कारों की भी है दरकार
संस्कारों की ही कमी
धरती है दनुज का भेष
'लानत है' का मतलब
अब कोई समझाता नहीं
माता, पिता‌‌ और गुरु
वाला‌ अब‌ डर रहा नहीं
इसलिए‌ ना शर्म बची है शेष
बेटियों के लिए मुफीद नहीं
अब यह अपना‌ देश
Mohan Jaipuri Mar 2019
मैं भारतवर्ष की बेटी हूं
अपने फैसले खुद लेने के लिए
हमेशा से ही‌ तरसती हूं ।
जमाने ने बहुत दिए सितम मुझे
कभी बना कर गांधारी
आजीवन लाद दी मुझ पर
मेरे पति की लाचारी
कभी बना कर द्रोपदी
जुए में दांव पर लगा दी
कभी मोरध्वज राजा की कहानी सुना
आजीवन अयोग्य संग बांध दी
सीता,सावित्री, अनुसूया के नाम पर 
   मैं कितनी ही बार मर मिटी हूं।
अपने फैसले खुद लेने के लिए
हमेशा से ही‌ तरसती हूं ।

सामाजिक परम्पराओं के नाम पर
अनगिनत बार मैं छली गई
जमीन, जायदाद और बराबरी
के अधिकारों से वंचित रखी गई
मैं हूं नदी, न रुकने वाला सफर हूं 
चाहे रास्ते कितने भी पथरिले हों
घिस - घिस कर अनुकूल बनाती गई
फिर भी दुनिया के पत्थर दिलों पर
मेरी बराबरी की बात जंचती ही नही
अब तो जमाने की रफ्तार समझो
‌ बराबरी का अधिकार दे दो
बालिका दिवस के नाम पर ही सही
आज तो दिल से यह वचन दे दो
         हिम्मत है तो संबल दो
         झूठी दिलासाओं से तो पहले ही टूटी‌ हूं
         अपने फैसले खुद लेने के लिए
          हमेशा से ही तरसती हूं।।
Mohan Jaipuri May 2021
यों तो हम सभी मिट्टी के खिलौने हैं
जिनके अनिश्चित से ठिकाने हैं
यह बेरहम दुनिया इन खिलौनों
से तरह-तरह से खेलती है
एक पिता ही वह हीरा है
जिसने अपने संस्कार और तालीम
की‌ शिल्पकारी से‌ तुझको
नाज़नीन से बेनजीर बनाया है
बख्शे खुदा जन्नत उनको‌
जिसने तुझे कांच से हीरा‌ बनाया है।।
# RIP Siraj Sir father of Nazneen
# Condolences Nazneen- a budding writer
Mohan Jaipuri Dec 2020
बोर्डर कहता मुझ पर
कभी‌ ठहरना मत
वरना होगा विप्लव
घर के बॉर्डर नजरें जो ठहरे
तब पड़ोसियों में उपद्रव।

देश के बोर्डर सेना टिके
तब मानवता घुटने टेके
राजधानी बॉर्डर किसान डटे
तब अर्थशास्त्र कोने में सिमटे
साड़ी बॉर्डर नजरें टिके तो
समझो पांचो पांडव बिके
सदा करो बॉर्डर का सम्मान
इसमें है सबका कल्याण।।
Mohan Jaipuri Oct 2021
उधर सिर पर दिवाली
इधर ब्रेकर ने पगड़ी उछाली
बिजली वाले तेरी तो
आज शामत आ ली।।
@ Mehrasar breaker pole damage this morning at 6:56 hrs.
Mohan Jaipuri Jul 2019
सफेद एप्रन पहनकर
मरीजों का मसीहा आता है
कितना भी क्यों ना हो दु:ख मरीज का
उसके आने से वह विश्वास से भर जाता है
उसके छू लेने से जादू सा हो जाता है।

अक्सर कलाकार कहते सुने जाते हैं
पात्र में जान फूंकने को पात्र बनना पड़ता है
फिर पात्र ही बनकर जीने लगते हैं
सोचो यदि डॉक्टर ऐसा कहने लग जाए
फिर क्या हाल दुनिया के होने लग जाए
जिसके आने से उम्मीद ही‌ उम्मीद छा जाए।

मरीजों का दर्द अनुभव करते करते
शायद कई बार करते होंगे
मरीज जैसे दर्द का अनुभव
ना कभी चेहरे पर इसका आभास होने देते
ना कभी कार्य की नाप का अनुभव कराते
ना कभी उनके कार्य की कीमत बताते
बस जल्दी ठीक हो जाओगे इतना कहते जाते
चारों तरफ उम्मीद की किरण हैं फैलाते ।

शुक्र है परमात्मा का कुछ लोगों को
महान सेवा कार्य में उतारते हैं
जो दिन रात जीवन बचाने में लगाते हैं
हम आज डॉक्टर दिवस पर उनका
सौ सौ बार आभार व्यक्त करते हैं।।
Mohan Jaipuri Aug 2021
आज लड़कियां हारी नहीं हैं
बल्कि दब गई इनमें चिंगारी है।

अगले ओलंपिक बनके शोला दहक उठेगीं
तब पड़ने वाली दुनिया पर ये भारी हैं।

जितना तपता सोना है
उतना निखार आता है।

आज नहीं तो क्या हुआ
कल हमें जीतना आता है।

पहुंच सेमीफाइनल मान तो देश का बढा ही दिया
बस पदक जीतना बचा है
ऐसे ही जज्बा बरकरार रहे
अगले ओलंपिक स्वर्ण तमगा पक्का है।

विजेता की तरह आपका
स्वागत वापसी पर पक्का है
पलकों पर बिठाएगा यह देश आपको
इसमें जरा भी नहीं शंका है।।
Mohan Jaipuri Jul 2020
हाल दिल का मोबाइल रूपी
किताब जितना ही चंचल है
शब्दों को खूबसूरत हाथ ने रोक लिया
आंखों के जज्बात रोकना मुश्किल है
जुल्फों का बिखरा हुआ सौंदर्य
और ये गरिमामय आभरण
नज़रें हमारी जम गईं
लेखनी को रोक पाना
अब हुआ मुहाल है।
Mohan Jaipuri Aug 2020
तेरी सुन्दरता‌ लगता है
गहनो की मोहताज‌ नहीं
आंखों को देख तेरी‌ ना‌ आये
ऐसा‌ दुनियां का कोई ख्वाब नहीं
देख तेरा लिबास ना‌ डोले
ऐसा मजबूत मेरा इमान नहीं
अगर मिली किसी दिन यों ही
भूल ना जाऊं खुद को कहीं

होंठ तेरे गुलाब जैसे
मेरे सीने में दफन सुंदर अरमानों जैसे
लगे देख तेरी जुल्फें ऐसे
कोई जलजला मेरे दिल में आयेगा जैसे
अगर कहीं डूबने लग जाऊं‌ इस जलजले में
पुकार लेना एक बार नाम मेरा तेरे होंठो से
तैर लूंगा मैं भी जलजलें में तिनकों के जैसे
तिनकों की इस संगत में
भूल ना जाऊं खुद को कहीं
Mohan Jaipuri Jan 14
मकर संक्रांति आई
तिल तड़क्या,दिन भड़क्या
पतंग उड़ाई, डफ ढूंढा
फागण के चाव में बिगड़े मुंडा ।
Mohan Jaipuri Sep 2020
भोग भोग सब भये उदास
सूंघ सूंघ‌ ना रुकी सुवास
स्वास स्वास बसे है आस
स्वास प्रबंध ही है मधुमास।।
Mohan Jaipuri Mar 2020
मैं कवि नहीं, मैं गीतकार नहीं
मैं नायक नहीं, मैं उन्नायक नहीं
जो मेरे साथ घटता है
       उसी को मैं लिख लेता हूं
प्रतिक्रिया स्वरूप लिखते-लिखते
एक रूचि सी बन गई है
कागज-पेन की इस क्रिया में
जो पाठकों का प्यार मिल जाता है
‌      उसी से दिल बहला लेता हूं
कोई पगला,कोई सनकी
कोई काव्य दीवाना कहता है
सच तो यह है कि इन विशेषणों से ही
‌‌      मेरा काव्यकोश भर लेता हूं
Mohan Jaipuri Aug 2020
रक्षाबंधन पर बहना आई
लाई हर्ष अपार
देख उसे नैनों में फूट पड़ी फुहार
मिलना - बिछुड़ना तन से है
मन का सेतु है साकार
      ‌            तब तक मन में है त्योंहार।
माथे पर तिलक लगाया
दाएं हाथ पर बांधा धागा
मुंह में जब मिठास थमाया
तब मेरा अंतस्तल जागा
देख तुझे जब बचपन लगाए पुकार
                  तब तक मन में है त्योंहार
Today is the festival of  sisters and borthers in India which is called "Rakshabandhan".
Happy Rakshabandhan to all HPians.
Mohan Jaipuri Jan 2022
मन तेरा सच्चा है
और मेरा मन बच्चा है
दोनों दिलों में ये चर्चा है
यह प्यार कितना अच्छा है।
यह कुछ ऐसा ही ‌है
जैसे पतझड़ में अनायास
पत्तों की बरसात
बरसात में भीगकर
आती गर्माहट की बात।।
- मेरी पुस्तक " ठाटलिया : कविताओं का पिटारा " से उद्धृत

ठीक उसी प्रकार मनोज कुमार का नाम
और भारत की तस्वीर साथ-साथ जुड़े रहेंगे।
     विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🙏
Mohan Jaipuri Dec 2024
पानी में  पैर डालकर
प्रेमी जोड़े बैठे रहते थे
दूर किनारे बैठकर
हम भी सोचा यह करते थे
पास नहीं तो क्या हुआ
पानी तो एक ही है
रोमांस तो सोच में है
पास वाले तो संकोच में है
उनके जाने के बाद
उन्हीं सीढ़ियों पर कुत्ते
आराम फरमाते थे
देखकर उन कुत्तों को हम
भी युधिष्ठिर बन जाते थे
कहीं झील देखकर आज भी
मन‌ में उन‌ दृश्यों को भूना लेते हैं
और उम्र को झुठला देते हैं।।
Mohan Jaipuri Nov 2023
जादूई अदाएं तेरी
जिन पर मैं फ़िदा
मैं बहका रिन्द सा
तू है  मयकदा।।
Mohan Jaipuri Jan 2023
कला छूती हृदय को
विज्ञान मस्तिष्क के नाम
जब हो हृदय बैठना
कला साधे काम।।

सिद्ध गायकी करते आये
कर अग्नि प्रणाम
धर्म का ध्वज लिए
घूमे चौखण्ड धाम।।

जीवत समाधियां लेकर
रखा धर्म का मान
फिर भी छुपे रहे
जैसे पहेली गुमनाम।।

कोमल सिद्ध ने जब जीता
मरवण का खिताब
राजस्थानी संस्कृति
का दुनिया में बढ़ा रूवाब
ना धर्म ध्वज ,ना चौखण्ड फेरी
फिर भी दुनिया पहुंची आवाज।।
Mohan Jaipuri Feb 2020
मरहम तभी लगा सकते हो
जब किसी की आंख का आंसू
आपकी आंख का आंसू बन बहने लगे
उसकी निराशा दूर करना
        आपके जीवन का उद्देश्य लगने लगे
मरहम तभी लगा सकते हो
जब किसी के हृदय का दु:ख
आपके हृदय की चुभन बनने लगे
उसकी हताशा दूर करना
         आपके जीवन का उद्देश्य लगने लगे
मरहम तभी लगा सकते हो
जब किसी की मृत्यु का दृश्य
आपकी आत्मा को झकझोर जाये और
‌          आप अपना वजूद भूल जाएं
मरहम की उम्मीद तब बेमानी है
जब किसी की आंख का आंसू
          किसी तराजू में तुलने लगे
जब किसी के हृदय का दु:ख
         इंतकाम का अवसर लगने लगे
जब मृत्यु का तांडव
     तुम्हारे पुराने घावों को सहलाने लगे
Mohan Jaipuri Jun 2020
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना
नगर से दूर एक मरुद्यान में
हम उनकी नेट पर बाट जोहते
जोहते- जोहते आंख लगे तो
सपनों में भी तुमको पाते
यही मनोदशा है जब से देखा
क्यों हो गया यह दिल बेगाना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना

कूलर की ठंडी बयार में भी
उनके होठों की मुस्कुराहट की
याद बेचैन कर जाती है
मोबाइल के हर नोटिफिकेशन पर
बेसब्री अचानक दस्तक दे जाती है
सुबह से यही हाल है
जैसे किसी ने लूटा हो चैना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना

दूर कहीं जब कोयल बोले
दौड़ कर उसके पास जाते
तुम्हारे खुले बालों की तारीफ में
उसे कई कसीदे सुनाते
यही क्रम उनका चल रहा है
कभी दौड़ना कभी बहकना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना

खाली घर प्रतिध्वनि करता
उनकी यह व्यथा सुन
जल्दी से संपर्क जोड़ो
पल भर कर लो गुन गुन गुन
तुम्हारी तत्परता पर निर्भर है
उनका यह जीवन बेगाना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना
Mohan Jaipuri Apr 2021
बन बादली तू आई
स्नेह और उल्लास लेकर

        जब तूने मेरे मार्ग को अख्तियार किया
        तब मैं उपकृत हुआ
        अब ओनर्स से मास्टर डिग्री लेने पर
        मैं सचमुच तर गया

सच में तुमने लिख दिया
फिर मेरा इतिहास नया

        मैं जब भी जागते हुए सपने‌‌ देखता
       तेरी सफलताओं की‌ कामनाओं में खो कर
‌      लोग मुझे अज्ञान कहते
        मरुस्थल में अंगूर उगाने का नाम लेकर

मिट गई कुछ तो पीर मेरी
जब तूने लिखा मेरा इतिहास नया ।।

‌ ‌
# On getting M.Tech. with Honours in Power System Engineering by my daughter.
Mohan Jaipuri Nov 2020
रखो शब्दों की मर्यादा,
इनकी उम्र है हम से ज्यादा।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
चेहरा देखूं तो
लगे गुलाब
आंखें देखूं‌
तो जादू
दांत देखूं तो
लगे रत्नावली
ओंठ देखूं
तो शोले
इश्क‌ वो
बिमारी है
जहां‌ मस्तिष्क
कुछ ना बोले।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
सतर साल‌ रही महारानी
ताज सुशोभित ब्रितानी
महारानी ‌की छवि प्रसिद्ध
ब्राइट-ब्राइट हैट्स वाली
और मनोरम आभा वाली
भारत आकर दी श्रद्धांजलि
मरे जो जलियांवाला नर संहार
हम  नत मस्तक हैं आपके
भूल जो आपने ली सुधार
ब्रिटेन की जब बात आये
खटके मन में टीस गुलामी की
संस्कार हमारे कहते ‌हैं
शायद वो हमारी‌ नियती थी
सलामी और‌ सच्ची श्रद्धांजलि
एलिजाबेथ द्वितीय महारानी को
जिसकी सल्तनत का रिकॉर्ड
कभी टूटे नहीं इसमें जरा भी
किसी को ना हैरानी हो।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
यह दक्षिणी तेज हवाएं
बादलों से घिरा हुआ आकाश
पेड़ों का हवा के कारण
एक दूसरे पर गिरना
यह माघ का ठंडा दिन
यह शनिवार की छुट्टी
पीली टोपी में तेरा
वो सुनहरा सा चेहरा
आंखों में चमक झकाश
देखना तेरा मुझे
जैसे मैं हूं कोई कांच
कर देता है मेरे
विवेक की छुट्टी
लगता है दिन कहता है
आज कह लो जो
कुछ है कहना
वरना शमां ने तो है बुझना
तुम्हारे हिस्से रहेगा कुढ़ना।।
Mohan Jaipuri Jan 2023
तू गुड़ मीठा मीठा
मैं तिल गर्मी लिए
तेरे और मेरे मिलने से
लड्डू मकर संक्रांति
के हो लिए।।

तू डोर चंचल चंचल
मैं पतंग रंगीले रंग का
तेरी आदत कभी ढील की
कभी कस-कस पेंच खींचने की
दूर जाकर समझ आया‌
मैं राही तेरे इशारों का।।

तू ही डग्गा , तू ही तिहली
मैं ढोल कसी चमड़ी वाला
तेरे हाथों के जादू से आवाज
निकलती दे ताला दे ताला।।

तू ही भांगड़ा तू‌ ही घूमर
तू ही जीवन सुर-संगीत लिए
तेरे शब्दों में ‌वह ऊर्जा
जैसे माघी धूप तरूणाई लिए।।
Mohan Jaipuri Jul 2020
धरा सरसी
जब अंबर बरसा
गर्मी का नखरा
आज सहसा उतरा।
The clouds rained for 20 mins at the desert land from 4:15 PM IST as part of Monsoon spell.
Mohan Jaipuri May 2024
तेरी‌ निशानियां नहीं
ये तेरी कुर्बानियां हैं
जीवन के संघर्षों में
मुझ पे मेहरबानियां हैं।।
Mohan Jaipuri Aug 2019
वैसे तो अभी वक्त नहीं है
तथ्य और पथ्य जानने का
कुनबा तेरा सशक्त नहीं
मोल है उसका आने का।
एक बात शाश्वत है
जोखिम तभी लो
जब हो कुछ पाने का
तपे हुए सोने पर से विश्वास
ना कभी डिगाने का।
नतीजे जो भी हो
सीख मिलेगी‌ बढने की
खुश किस्मत होते हैं वो घर
जहां मां के हाथ कुंजी है
तुम्हारी समझ को मानना
यही तुम्हारी पूंजी है।
Mohan Jaipuri Aug 2021
भूल गया मैं अपने आप को
दुनिया की कसौटी पर खरा
उतरने की कोशिश करते-करते
ये दोस्त ही हैं जो बात-बात पर
मेरी लंगोटी हैं खींचते
और मेरी स्मृतियों की चोटी‌
पकड़ते-पकड़ते मुझ तक
अब भी हैं पहुंचते।।
# Friendship Day in India
Mohan Jaipuri Jan 2024
लोग लिखते हैं चित्रों पर
मैं लिखता हूं मित्रों पर
उन्होंने पढ़ा तो ठीक है
नहीं पढा तो कोई  बात नहीं
मैं तो उनको पढ़ ही रहा हूं
बस इस बहाने से ।।
Mohan Jaipuri Dec 2018
जब हम छोटे बच्चे थे,
तोते को मिटू कहते थे।
मीटू वही बोलता था,
जो उसे सिखाते थे।
समय ने पलटी मारी,
मीटू वह बोलने लगा,
जो दुनिया में होने लगा।
अक्टूबर 17 में,
एलिसा मिलानो ने,
एक मी टू टि्वटर पर छोड़ा,
और मीटू धाराप्रवाह बोला।
मीटू मीटू सुन सुन के,
दुनिया के कान खड़े हुए।
पहले ही दिन 2 लाख,
निकले मुद्दे गड़े हुए।
भारत देश महान है,
छुपाना इसकी शान है।
साल भर बाद जब पापी घड़ा भरा,
यहां भी मी टू बड़ा उभरा।
कोई खेर, कोई रजत -भगत,
कोइ नाना प्रचार में आए।
कोई खास से आम हुए,
कोई संस्कारी बदनाम हुए।
हर संस्था में इसके,
चर्चे बड़े आम हुए।
जिस मजबूती से प्रचार हुआ,
उससे ही मजबूरी का भान हुआ।
चाहे चटखारा, चाहे मसखरी,
बातें हैं सब खरी खरी।
दिन बदल गए हैं भाई,
जमाना लद गया है भाई।
नारी की गरिमा समझो,
उसको पूरा सम्मान दो,
जोर - जबरदस्ती बेकार है,
अब शब्दों की ही सरकार है।
इसलिए सब धरो ध्यान,
शील शब्द का रखो मान।।


शुभकामनाओं के साथ मी टू को समर्पित
मोहन
Mohan Jaipuri Feb 2021
आज पैरों में घुंघरू बंधे हैं
और सांसों में है सरगम
मन मयूर यूं नाच रहा है
जैसे लहरा दिया हो परचम
राज बस इतना है
कागज पर लिखते-लिखते
अब पहुंच गया मैं किताब तक
आसमानी कहानियों के संग
पाया अपना मील का पत्थर
अब पहुंच गया मैं बाजार
सोशल मीडिया से निकल कर।।
My first reactions on becoming a co- author in an anthology named"wings of my dreams" with Seraphic Tales.
Mohan Jaipuri Nov 2024
समय बलवान, करता बड़े काम
बदले तो साल में दे कई मुस्कान
दशकों की उदासी का करके शमन
मुकम्मल कर दे फिर से वही मुकाम
जहां खड़े होते थे यों ही सीना तान ।।
Mohan Jaipuri Nov 2024
जिंदगी तो लगती मुझको एक खता
तेरी एक मुस्कान ही है इससे जुदा।।
- मोहन सरदारशहरी
Mohan Jaipuri Dec 2020
राजा था राम, राजा था कृष्ण
दुनिया को जिन्होंने दिया
पुरुषोत्तम और पुरुषार्थ का दर्शन
कलयुग में अब कहां हैं राजा
चारों तरफ बजता है
झूठ ,फरेब का बाजा
फिर भी कहीं देखना है
यदि राजा का अक्स
लग जाओ पिता के वक्ष
वो सच्चा पालनहार शख्स
जो देता है बिना प्रदर्शन
मिलकर होगा आत्मदर्शन
वही है मेरा सच्चा राजा
साथ जिसके रहकर होता
मेरा सदा यश वर्धन।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
खिलना फूलों का और
चहकना‌ मेरे यार का
बस इतना सा सार है
मेरे इस संसार का।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
आज फिर रंगीन हो गई है जिंदगी
आज फिर छलकता जाम हो गई है जिंदगी

खुशियों के गीत सुनते सुनाते हुए
आज फिर तलबदार है तुम्हारी यह मेरी जिंदगी

मैंने इतना बुलंद किया है तुम्हारी संगत में
कि अब मेरी गुलाम है यह मेरी जिंदगी

तुम्हारे हर एक अल्फाज से सजाया गया
शाख-ए-गुलाब है यह मेरी जिंदगी

जब-जब झोंके तुम्हारे कह- कहों के आते हैं
लचक खा - खाकर नायाब होती है मेरी जिंदगी
Mohan Jaipuri Mar 2023
दिलकश वो और दिलकश शाम
हर मुश्किल में जुबां पर उसका नाम
उसके साथ खड़ा रहने में है मेरी शान
दिन‌ की तो मैं कह नहीं  सकता
हर शाम यह मेरा इजहारे आम
मेरी बीवी ‌ही है मेरी जुबान।।
       😄😄😄😄😄
Mohan Jaipuri Aug 2020
मैंने लिखी शायरी
उसने कहा कुछ खास नहीं
वह है ही इतनी सुंदर कि
मेरे पास अल्फाज नहीं
और वो इतनी मासूम कि
समझे मेरे जज्बात नहीं।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
ये फूलों की कलियां घूंघट खोलें ‌या‌ ना‌ खोलें
तेरा एक संदेश मेरे दिल के सारे पट खोले
जरूरी नहीं कि हम साथ-साथ हों
ये हवाएं और घटायें मेरी रूह बनकर तुम्हें छू लें।।
Mohan Jaipuri Oct 2020
सहता है जीवन उम्र भर ,बे-खबरी की खामी
कब ली जायेगी,मेरे बारे में फैसलों में, मेरी हामी

मोड़ दिया जब चाहा, मेरा जीवन हर मोड़ पर
हर तरफ संदेह के घेरे अनचाहे मिले
मन को तरसाती रही लेकिन यह इच्छा
मेरे बारे में फैसलों में कभी तो ली जाएगी मेरी हामी

जीवन की हर राह पर मिली है बेबसी
जान कर भी मैं कुछ ना कर सकी
बस इस आशा में कटती रही उम्र मेरी
शायद उम्र के अगले पड़ाव में ली जाएगी
मेरे बारे में फैसलों में मेरी हामी

कहती गई उम्र की ढलती हुई अवस्थाऐं
बाप और पति ना सही, बेटा तो लेगा तेरी सलाहें
लेकिन अब तक नहीं आया ऐसा दिन जिसमें
मेरे बारे में फैसलों में ली हो मेरी हामी

कट ही रही है उम्र मेरी जैसे अब तक कटी
लेकिन अब वक्त आ गया है मैं काट दूं
यह बेबसी की बेड़ियां हमेशा के लिए
मुझे अब स्वयं ही दूर करनी है यह तंत्र की खामी
तब ही मिलेगी मेरे बारे में फैसलों को मेरी हामी
Congratulations on International girl child day. The theme is "My Voice, Our equal future".
Mohan Jaipuri Jan 2021
जैसे चांद के बिना
समुद्र में ज्वार नहीं आता
और कीमती पदार्थ
किनारे नहीं आते
वैसे ही मेरे चांद
के निकले बिना
मेरे हृदय में ज्वार
नहीं उठता और
कीमती मोती रूपी
शब्द बाहर नहीं आते।।
Mohan Jaipuri Aug 2019
रसीदी टिकट
एक आत्मकथा
पिंजर
एक व्यथा कथा
कागज ते कैनवास
व्यक्त करती
नारी शक्ति एवं संवेदना
उसकी जन्मशती पर
हमारी भी एक तमन्ना
एक बार फिर से तू
जन्म इसी धरा पर लेना।।
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