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60 · Apr 2020
Longest distance
Mohan Jaipuri Apr 2020
It is easy to forget the world
than one who is in the heart
It is also easy to travel
thousands of miles
Cause making a call
to an annoyed friend
is a very difficult art.
60 · Aug 2024
चाय का कप
Mohan Jaipuri Aug 2024
यह फूल रूपी चाय का कप
लग गया अगर होंठों से
भूल जायेंगे कि यह कप है
चिपक जायेंगे इससे
समझ कर कि यह लब है।।
60 · Dec 2020
Positive Change
Mohan Jaipuri Dec 2020
Role model should be as per
our conscience demand
While spouse should have
less demand
This brings our life in
the best command.
Mohan Jaipuri Sep 2020
दोस्त भी आजकल
दारू की तरह हो गए
चांदनी में हसीन
सपने बेचते
धूप में बोली से
खजाने भरते
जो वक्त ना समझे
उसके हिस्से में
"माफी" आए
सुनकर इसको
कोई क्यों चकराए।।
60 · Apr 2020
How to be sane
Mohan Jaipuri Apr 2020
Heart and brain
Love and pain
Love retards brain
Pain retards heart
But the lockdown
has *******
All the four i.e.
Heart,brain,love
and pain
Big issue now is
How to be sane
Mohan Jaipuri Sep 2020
दिल्ली हो या हाथरस
दो हजार बारह हो
या फिर दो हजार बीस
बेटियों के लिए मुफीद नहीं
अब यह अपना देश।

तोड़ना पीड़िता की
रीढ की हड्डी का हाथरस में
भरता है आक्रोश नस नस में
और साबित करता है
रीढ विहीन हो‌‌ गया है
अब यह अपना देश ।

कानून चाहे कुछ भी करे
संस्कारों की भी है दरकार
संस्कारों की ही कमी
धरती है दनुज का भेष
'लानत है' का मतलब
अब कोई समझाता नहीं
माता, पिता‌‌ और गुरु
वाला‌ अब‌ डर रहा नहीं
इसलिए‌ ना शर्म बची है शेष
बेटियों के लिए मुफीद नहीं
अब यह अपना‌ देश
Mohan Jaipuri Aug 2024
यह दिन‌ भी  रंग बदलता है
मुझे रोज आगाह करता है
सुबह सुर्ख लाल
जैसे बाल के गाल
छिपे हों आंचल लाल।
दोपहर में सफेद
जैसे पुरुषार्थी का भेष
तपकर करता सजीवों का पोषण
देता श्रम का संदेश।
बरसात से पहले
बन जाता शांत जैसे योगी
फिर मचाता शोर
लुटाता खजाना जैसे कोई भोगी।
सायं शांत सा समा जाता
काली रात आगोश
याद करते हुए जैसे बीते समय के रंग
और मांग रहा हो फिर सुबह का जोश
यह दिन‌ भी  रंग बदलता है
मुझे रोज आगाह करता है ।।
Mohan Jaipuri Dec 2020
मेरा बचपन सीधा था
           बीता गोरे धोरों में।
सूरज उगते खेत पहुंचते
घर आते थे तारों में
खेतों में मोर-पपीहे बोलते
पशु चरते थे कतारों में
              घरवालों से खूब डरता
            बात समझता था उनकी इशारों में।
शाम को खाने में हमेशा खिचड़ी
दही रोटी का कलेवा था
दोपहर में सांगरी की कढ्ढी
संग बाजरी की रोटी का चलेवा‌ था
                 सर्दी जुकाम में चाय पीता
                 यही आदत थी चलन में।
स्कूल चलती थी छप्पर में
ना झंझट था गणवेश का
पानी लाना, रोटी बनाना
शामिल था गुरु सेवा में
बारहखड़ी और पहाड़े बोलना
मिलता था बस मेवा में
                गुरुजी के डंडे का खौफ
               अक्सर सताता था नींदों में।
प्राथमिक बाद दूसरे गांव गया
पैदल पढ़ने मीलों दूर
घरवालों से पढ़ने के लिए
करता रहता मैं जी हुजूर
         इक्कीस रूपये सालाना फीस की खातिर
          कई दिन व्यर्थ होते थे हल चलाने में।
मैं बैठता था पढ़ने घरवाले
ताना देते थे काम चोरी का
कभी-कभी तो छीना- झपटी में
वो रख देते थे कनपटी में
             मां के साथ और आशीर्वाद से
             सदा अव्वल रहा पढ़ाई में।
मां सरस्वती की कृपा थी
काम चलता रहा वजीफे में
दोस्तों और शुभचिंतकों की‌
दुआएं भरता रहा मैं झोली में
                ऐसा करते - करते ही
                पहुंच गया जवानी में।।











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60 · Jul 2024
पाप
Mohan Jaipuri Jul 2024
अमीर इसी जीवन को जीता है
उसके पाप कोर्ट कचहरी में धुलते हैं
गरीब को यह जीवन तो जीवन लगता नहीं
पिछले पाप धोने गंगा काशी नहाता है।।
Mohan Jaipuri Dec 2020
भारत में यदि उमड़ पड़े
जड़ों के प्रति चाव औ
किसानों का पड़ाव
फिर कोई ना रोक सके
चाहे राम हो या राव।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
आज फिर रंगीन हो गई है जिंदगी
आज फिर छलकता जाम हो गई है जिंदगी

खुशियों के गीत सुनते सुनाते हुए
आज फिर तलबदार है तुम्हारी यह मेरी जिंदगी

मैंने इतना बुलंद किया है तुम्हारी संगत में
कि अब मेरी गुलाम है यह मेरी जिंदगी

तुम्हारे हर एक अल्फाज से सजाया गया
शाख-ए-गुलाब है यह मेरी जिंदगी

जब-जब झोंके तुम्हारे कह- कहों के आते हैं
लचक खा - खाकर नायाब होती है मेरी जिंदगी
Mohan Jaipuri Dec 2020
सरकारें आती हैं
सब्सिडी, लोन,
बिजली से भरमाती हैं
कर्ज के परिणामों से अनभिज्ञ!
     किसान हंसता है
     कुछ नकली हंसी
     कुछ राहत की मदहोशी
यह देख सरकार
पैंतरा बदलती है
अनाज को
खुले बाजार की सुपुर्दगी
का निश्चय करती है
     किसान रोता है
     अपना आपा खोने पर
     मजबूर होता है!
58 · Apr 2020
Love & Life
Mohan Jaipuri Apr 2020
Once again
I and you
are alike
Not the same
Why is the
Same desolation
Which once
Rolled down
Your eyes
And drawn away
All your lies
And I invested in you
My all deep ties.
58 · Oct 2024
रतन टाटा
Mohan Jaipuri Oct 2024
टाटा को कैसे टा-टा कहें ?
कई शहर, रोजगार, परोपकार
जिस नाम से रोज चल रहे।
58 · Sep 2024
Unlimited
Mohan Jaipuri Sep 2024
You are sweet like honey
Valuable than money
your words succinct
like  quotes
I like to write for you
to decore the
beautiful quotes
My writing art is limited
but pouring heart unlimited
Mohan Jaipuri Jan 2020
How attached you are to me my poem
What are you doing to me my poem
No good am I feeling for anything else
Forever do I look for you
Now I don't know any hobby
as interesting as you
All the time do I hear your sound
Feeling always your presence around
I do eat with you
but taste is created by you
Feeling the world without charm
If am I unable to pen you
by the morning alarm
57 · Jun 2024
नखरे
Mohan Jaipuri Jun 2024
नखरे तो वो जलवा हैं
जिनके बिना ग्लेमर बयां कहां
जो उठाए प्यार में नखरे
उसका प्यार रहे सदा जवां।।
Mohan Jaipuri Sep 2024
हर अक्षर शिक्षक की छाप
पहले शिक्षक से हुआ ज्ञात
अक्षर हैं दुनिया का ज्ञान
किताबों से हुआ ज्ञात।

व्यवहार और गरिमा
परिवार की है सौगात
बाहर निकले तब देखा
दोस्त बदल देते बात।

राजनीति को देखा
यह अलग पढ़ाई है
मौसमी मुर्गों का खेल
जीते वही कन्हाई है।

घर में समझें
जो बीवी की बात
कलह वहां नहीं कभी आत
उस घर का दाल भात
हर रेसिपी को देता मात।।
57 · Oct 2020
मेरी हामी
Mohan Jaipuri Oct 2020
सहता है जीवन उम्र भर ,बे-खबरी की खामी
कब ली जायेगी,मेरे बारे में फैसलों में, मेरी हामी

मोड़ दिया जब चाहा, मेरा जीवन हर मोड़ पर
हर तरफ संदेह के घेरे अनचाहे मिले
मन को तरसाती रही लेकिन यह इच्छा
मेरे बारे में फैसलों में कभी तो ली जाएगी मेरी हामी

जीवन की हर राह पर मिली है बेबसी
जान कर भी मैं कुछ ना कर सकी
बस इस आशा में कटती रही उम्र मेरी
शायद उम्र के अगले पड़ाव में ली जाएगी
मेरे बारे में फैसलों में मेरी हामी

कहती गई उम्र की ढलती हुई अवस्थाऐं
बाप और पति ना सही, बेटा तो लेगा तेरी सलाहें
लेकिन अब तक नहीं आया ऐसा दिन जिसमें
मेरे बारे में फैसलों में ली हो मेरी हामी

कट ही रही है उम्र मेरी जैसे अब तक कटी
लेकिन अब वक्त आ गया है मैं काट दूं
यह बेबसी की बेड़ियां हमेशा के लिए
मुझे अब स्वयं ही दूर करनी है यह तंत्र की खामी
तब ही मिलेगी मेरे बारे में फैसलों को मेरी हामी
Congratulations on International girl child day. The theme is "My Voice, Our equal future".
57 · Sep 2024
Monday Motivation
Mohan Jaipuri Sep 2024
परेशानियों के सफर में
परेशानियों का जुड़ना
धैर्यपूर्वक सतत जुझना
जिंदगी को है जवाब अपना।
नमक के डर से जख्म छुपाना
नहीं है  हुनर अपना
इतनी सच्चाई है कर्मों में
तय है जख्मों में नमक
भरने की फिराक में रहने
वालों का हाथ‌  गलना।
57 · Feb 2020
My valentine
Mohan Jaipuri Feb 2020
Pure, pious & Persistent
Open to fun, romance &
                          pain
Earns love , like & addition
Teaches read, write & repost
Reachable to child, youth & old
Yes, we all love her still not
             jealous  to each other.
One who recognizes it and shares further is my best friend.
Mohan Jaipuri Sep 2020
सबसे बड़े दीन हैं वो जो
- कमाते हैं पर वक्त पर उनको रोटी नहीं
- परिवार वाले हैं पर वे सुनते नहीं
- रात में भी सो सकते नहीं
- सच्चे हैं पर उनकी कोई सुनता नहीं
सबसे बड़े धनवान वो हैं जो
- रोटी के लिए ही कमाते हैं
- परिवार के संग जीवन बिताते हैं
- स्वाभाविक गहरी नींद सोते हैं
- सांच झूठ से इत्तर व्यवहारिक होते हैं
Lessons of life
Mohan Jaipuri Sep 2024
तू मेरे जीवन का राज है
मिलना अब ना मुमकिन है
तेरे नाम से बनता आज है
महसूस हवाओं की तरह
तुझे करने को फिर भी
मेरी हर धड़कन मोहताज है।।
Mohan Jaipuri Apr 2020
हच के छोटे रिचार्ज की तरह
कितना छोटा रिचार्ज तू लाया रे
तुरंत आई 'लव यू 'बोल गया
हमें और सुनने का मौका दिया नहीं रे
गमगीन है जयपुर, टोंक
शोक-संतप्त सारा देश रे
एक बार फिर से आना
धर पान सिंह तोमर का भेष रे।
खिराजे अकीदत
Tribute to Irrfan , an indian theatre, film and tv actor
Mohan Jaipuri Mar 2020
One formality
invites another formality
While one simplicity
drives away all formalities.
Simplicity connects
While formality
awaits for opportunity
Mohan Jaipuri Sep 2020
सजी है चौपड़ आस लगाए
कई धुरंधर अभी ना आए
चीयर्स का समय निकला जाई
शनिवार की संध्या गदरायी

प्याले छलकें छल- छल छल- छल
जिसमें लहरें निर्मल- निर्मल
देख- देख आंखें हरसाई
शनिवार की संध्या गदरायी

एसी की ठंड भी अगन लगाए
क्रिकेट ,सीरियल रास ना आए
आ जाओ अब जूम हताई
शनिवार की संध्या गदरायी

ये नहीं आए ,वो नहीं आए
काश कयामत ही आ जाए
ओ मेरे भाई तेरी दुहाई
शनिवार की संध्या गदरायी
56 · Oct 2020
नि:शब्द
Mohan Jaipuri Oct 2020
कवियों की भी अजीब आदत है
यदि सामने हो मोहब्बत तो
तलाशते हैं उसके लिए उम्दा शब्द
जब मिल जाते हैं शब्द तो
लगते हैं उनको कविता में पिरोने
और हो जाते हैं नि:शब्द
55 · Jul 2020
Monsoon effects
Mohan Jaipuri Jul 2020
Land gets succulent
When clouds rain
And summer tantrum
Goes into drains
55 · Mar 2020
What is solution?
Mohan Jaipuri Mar 2020
Covid-19 is dreadful
It has created a panic
Now even meeting with
Family members
Seems horrible
How it will over
At present only
Lock down is
Visible but
Upto what extent
And what for
Nobody is sure
Mohan Jaipuri Sep 2020
जैसी आए
उसी में मौज मनाएं
यह जिंदगी है
इससे ना कतराएं
लालसाओं को
सीमा में बांधे
नेकी से
कर्तव्य साधें
55 · Mar 2020
Paint & dent
Mohan Jaipuri Mar 2020
Wings are for fairies
Ramps for models
Podiums for winners
Stages for actors
Red carpets for leaders
Only pen and papers
For writers
But they can paint and dent
All above character
Mohan Jaipuri Sep 2020
कविता का संसार
कल्पना है
इसका आधार
भंगिमाएं लाती हैं
इसमें निखार
शब्द मिलते
नहीं यहां उधार
शब्द कम हों चाहे
पर होना चाहिए
उनमें भार ।।
Mohan Jaipuri Feb 2020
A Rose is special
Born & brought up
Among thorns
Still possesses
Tenderness and
Aroma enormous
Shaped in unique
Style and arts
Therefore loved
By all hearts
55 · Jul 2020
Friendship
Mohan Jaipuri Jul 2020
Friendship with celestial
objects is divine
but difficult to realise

Friendship with nature
is like a life line
and easy to visualise

Friendship amongst
human beings is the
way of promotion of
love and peace
necessary for mankind
Which paves the way
to sail us through highs
and lows of life
by mutual cooperation,
and guidance
and needed to survive.
Happy friendshipday HPians.
Remembering Joyce Hall for his first effort for observation of international friendshipday. Though the UN Gen Assembly officially declared July 30 as international friendship day in 2011.
This  completes my 4th century of poems too here on HP. Thanks to HP and HPians for being with me. Love you all. Happy friendship.
Mohan Jaipuri Nov 2020
जिसने भूत को छोड़कर
वर्तमान में जीना सीखा है,
वह यह नहीं देखता
कि पीछे छूटा क्या है?
रूह उसकी कभी टूटती नहीं,
जिसका खुदा खैरख्वाह है
दीपक का काम‌ है प्रकाश देना
भले ही खुद का पैंदा स्याह है
मेरे दुर्गुणों का हिसाब न रखना
उनका फल मुझे ही मिलना है
मेरे सद्गुणों को ही याद रखना
यही मेलजोल की एक राह है।।
Happy Diwali " the festival of lights in India today" to all HPians. Wish you all stay safe and healthy.
Mohan Jaipuri Feb 2020
गुलाब से हम गुलकंद बनाएं
गर्मी की इससे तपिश मिटाएं
प्रस्ताव हमारे परिजन ही करें
हम तो उनका वचन निभाएं
चॉकलेट निसंदेह स्वाद में अच्छा
इस जैसा स्वभाव रखने की इच्छा
टेडी -वेडी की छोड़ो बात
यह है गुड्डे- गुडियों की औकात
प्रॉमिस तो कुल की मर्यादा का अच्छा
इसके बिना सब कुछ कच्चा
हग व‌ किस्स की यदि शादी से पहले हो बात
शादी के बाद प्रीत की कहां सौगात
वैलेंटाइन है विदेशी संस्कृति
इसकी हमारे यहां नहीं बनती बात।

हमारे वैलेंटाइन की अनोखी रीत
शादी पर ही बजे संगीत
चाचा ,ताऊ ,भाई- बंधु दें बंदोरे
हल्दी उबटन से बना-बनी हो जायें गौरे
बान, बनोरी, गाजे-बाजे बारात में गाजें
दूल्हे राजा घोड़ी पर विराजें
लाखों के जेवर से लकदक
दुल्हन परियों की आभा से सजें
हजारों लोगों के भोज के बाद
फिर कोई फेरों की आये रात
इतनी मुश्किल से वैलेंटाइन पायें
इसलिए कहता हूं वैलेंटाइन है विदेशी संस्कृति
इसको हम कैसे निभायें।
54 · Apr 2020
Homeopathy
Mohan Jaipuri Apr 2020
Likes are cured by likes
(Similia similibus curator)
e.g.cinchona can induce malaria
and therefore can cure malaria
This theory of medicine was
devised by Samual Hahnemann
His birthday is celebrated as
World Homeopathy day
On April 10th every year.
Mohan Jaipuri Dec 2020
दिसंबर की धूप
लगती दुल्हन का रूप

       रहती कोहरे के
     घुंघट में सिमटी सी
    निकलती लंच के समय
       शरमाती सी
सरकती ऐसे जैसे
मेहंदी वाले पांव सरूप

       देती है बस एक
      अबोली झलक
      जाना हो जैसे
     उसे पीहर तलक
कर जाती है हवाले ठण्ड के
जो रहती सीने में कसक स्वरूप।।
Mohan Jaipuri Oct 2020
मशीनी रिश्ते, संस्कार छूटते
शिक्षा दिखती बेरोजगारी बांटते
सोशल मीडिया समय खाते
और नफरत उगलते
प्रेस लगती बिक कर छपते
खेती दिखती लुप्त होते
डांस खाते 'थैक' पर गोते
खेलों को अब सट्टे लीलते
खाने को रसायन मिलते
खबरों में पढ़ने को
'रेप ' के समाचार मिलते
कपड़े आजकल छोटे ही सिलते
फूल अब ज्यादा कृत्रिम ही मिलते
जिम्मेदार दिखते झांसा ही देते
इस कोलाहल में यदि राम होते
ना धनुष ना बाण उठा पाते
देख देख सिर्फ माथा पीटते।
Today is Dussehra,"the festival of the win of truth over evil " in India.
Mohan Jaipuri Sep 2020
जिंदगी एक किताब है
पढ़ाने जिसको शिक्षक आते अनेक
मां,बहन, बीवी और बेटी जैसा
उनमें से होता ना एक
ममता,स्नेह,प्यार और आदर
देने में करती हैं ये अतिरेक
पर स्वाध्याय ही अंतिम विकल्प है
अगर करवाना है अभिषेक।।
It is teachers day in India today.
Feeling blessed having teacher like Sh. jamanadharji kala at upper primary level . I owe a lot to him. Sadar naman.
53 · Feb 2020
Lord Shiva
Mohan Jaipuri Feb 2020
Shiva is a symbol of
Minimum needs
Maximum tolerance
Recepient of all kind of
Bitter things and
Bitterness of nature
Still generous in giving
Without any prejudice
Or favour
53 · Oct 2020
टीबा
Mohan Jaipuri Oct 2020
टिबों में रहते - रहते,
अब मैं खुद एक टीबा बना
तुझसे बिछुड़ने के बाद से ,
यह भेद मैंने जाना।
53 · Feb 2020
Track to subscribe
Mohan Jaipuri Feb 2020
What comes in our minds
Which we virtually lack
That is why we come on to
Love,happiness & harmony's
track
While love, happiness
And harmony
Are beyond to describe
But better to subscribe
53 · Aug 2024
गोगानवमी
Mohan Jaipuri Aug 2024
मरूस्थल के‌ देव
सादा प्रसाद लेय
गोगाजी को‌ खीर- चूरमा
जसवंत ओगरो लेय।
सच्ची श्रृद्धा से ग्रहण करो
तन कष्ट मिट जाय
जमीन पर बैठ कर खाये
आधा‌ वहीं पच जाय।
जितना‌ सादा भोजन
उतने सादे विचार
यह बात लिखावट की नहीं
यह सदियों का निचोड़।
कृष्ण ने माखन चोरा
राम भीलन‌ बेर खाय
मिट्टी के बर्तन की महिमा
पुरानी सभ्यताएं रही बताय ।
53 · Aug 2020
Pain
Mohan Jaipuri Aug 2020
It is all about
pain
When it comes
through eyes
it makes
weep and weak
when it come
through words
it makes
poems and peak
Mohan Jaipuri Aug 2020
कोविड की विपदा में
हम हैं सही मिलन पर
    आज तक हमने ना
     पाया ऐसा अवसर अद्भुत
     पहली बार मिलकर यहां
     मन हो रहा गदगद
दृष्टि केंद्रित हो गई है
आप के ललाटों पर
      कुछ आज आए हैं
      बाकी अगली बार
      उम्र भर यूं ही हम
      जोड़े रखेंगे तार
बढ़ गया है खून पाव भर
मिलकर आज जूम पर
Had a nice quality time on zoom meeting with my engineering batch mates.
Mohan Jaipuri Oct 2020
लुइस ग्लुक ! लुइस ग्लुक !
कवियों के दिलों में तुने
आज जगा दी नई कुहुक
आशा है कविता में
आपके नोबल से कवियों की
सोच को अब मिलेगा नया रुख
दुनिया होगी काव्य में
और ज्यादा मशरूफ
कवि होंगे कविताओं के भावों
में नवीनता से जागरूक
Congratulations to Nobel laureate poetess of 2020 Louise Gluck of USA
52 · Mar 2020
Lockdown
Mohan Jaipuri Mar 2020
At present silence
Sounds louder
Than words
Roads are silent
Markets empty
People in isolation
The silence is the
Key to survival
Of mankind
On earth
The demon
Covid-19
Only understands
The language of
Silence
Whole country under lockdown to destroy corona chains
52 · Jan 2020
अनुराग
Mohan Jaipuri Jan 2020
जब आंख किसी से लगती है
तब आंख में छवि उसी की बसती है
बातें सारी उसकी कानों में गूंजती है
खिलखिलाहट हरदम सुनाई देती है
अनुराग की आग दिल में ऐसी दहकती है
सारे दरिया उसे मिटाने में असमर्थ होते हैं
किसी को कही नहीं जाती मनोदशा
क्योंकि पशोपेश में ऐसे फंसा
मन नहीं रहता खुद के पास
तन नहीं जा पाता उसके पास
नींद अब आती नहीं पल भर
बस प्यास बन जाती है नींद हर।
Mohan Jaipuri Jan 2020
बिन लहरों के कैसा सागर
खुशियां मिलना
सुबह की मानिंद
बिन‌ रैना‌ कैसा
दिन का आनंद
विवेक का मंथन
विपदा पर निर्भर
बिन बाधा‌ कैसा
धीर उजागर
बिना लहरों के
कैसा सागर।

मेहनत और चिंतन
आपका कर्तव्य
असफलता से अविचलन
आपका धैर्य
धैर्य है सफलता का सोपान
बिन धैर्य कैसा
विवेक उजागर
बिन लहरों के
कैसा सागर।।
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