Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
 
Mohan Jaipuri Jan 2023
कला छूती हृदय को
विज्ञान मस्तिष्क के नाम
जब हो हृदय बैठना
कला साधे काम।।

सिद्ध गायकी करते आये
कर अग्नि प्रणाम
धर्म का ध्वज लिए
घूमे चौखण्ड धाम।।

जीवत समाधियां लेकर
रखा धर्म का मान
फिर भी छुपे रहे
जैसे पहेली गुमनाम।।

कोमल सिद्ध ने जब जीता
मरवण का खिताब
राजस्थानी संस्कृति
का दुनिया में बढ़ा रूवाब
ना धर्म ध्वज ,ना चौखण्ड फेरी
फिर भी दुनिया पहुंची आवाज।।
Mohan Jaipuri Jan 2023
सर्दी में अंगुलियां लाल हो
खुजली फिर आने लगे
सरसों तेल की मालिश
बार बार मांगने लगे
समझो जवानी है जाने लगी।।

लोग कभी कभी पूछते हैं
स्वास्थ्य ठीक है ना
बच्चे ध्यान रखते हैं
गर्म पानी से नहाये हो ना
समझो जवानी है जाने लगी।।

बच्चे पेंशन कितनी बनेगी
ये जब पूछने लगें
तुम्हारे स्वास्थ्य के प्रति
तुमसे ज्यादा सचेत होना दिखाने लगें
समझो अब नम्बर हैं घिसने लगे।।

कोई बुढ़िया दु:खड़ा
तुम्हें अपना समझ के सुनाने लगे
उसकी बातों की गहराई को
जब समझने तुम हो लगे
समझो संजीदा तुम होने लगे।।

मन‌ तुम्हारा यह सोचने लगे
मेरे पास आनंद का समय कम है
मस्ती करने की इच्छायें
हिलोरें जब मारने लगें
समझो ये इच्छा कम, कुंठाओं का प्रलाप ज्यादा
कदम सोच- समझ कर उठाना
असल में तुम हो सठियाने लगे।।
Mohan Jaipuri Jan 2023
तू गुड़ मीठा मीठा
मैं तिल गर्मी लिए
तेरे और मेरे मिलने से
लड्डू मकर संक्रांति
के हो लिए।।

तू डोर चंचल चंचल
मैं पतंग रंगीले रंग का
तेरी आदत कभी ढील की
कभी कस-कस पेंच खींचने की
दूर जाकर समझ आया‌
मैं राही तेरे इशारों का।।

तू ही डग्गा , तू ही तिहली
मैं ढोल कसी चमड़ी वाला
तेरे हाथों के जादू से आवाज
निकलती दे ताला दे ताला।।

तू ही भांगड़ा तू‌ ही घूमर
तू ही जीवन सुर-संगीत लिए
तेरे शब्दों में ‌वह ऊर्जा
जैसे माघी धूप तरूणाई लिए।।
Mohan Jaipuri Dec 2022
तुम एक किताब हो
जिसके पृष्ठ हैं बेसुमार
पढ़ते-पढ़ते मैं हुआ
अब चंचल से लगनवार
ना गीता ना बाइबल तू
फिर भी दोहराने के काबिल तू
दोहरा - दोहरा के मैं हुआ पागल
कर तेरे एक श्लोक में शामिल तू
दुनिया रूपी युद्ध भूमि में
तू ही एक ढाल है
तेरे भावों से भरा हुआ
मेरा यह कपाल है
क्रिसमस की तरह प्रेम
की तू अद्भुत मिसाल है
तेरी लगन में डूबा रहना
लगता है जश्न का माहौल है।।
Mohan Jaipuri Dec 2022
खुशियों के पल
जीवन में केवल उपहार हैं
घंटों के मेहमान
ये नहीं वफादार है
रंग-बिरंगे तेवर वाले
ये नहीं सदाबहार हैं
ये अविश्वसनीय,अकल्पनीय
जीवन की हकीकत से
इनका कम ही सरोकार है।।
Dec 2022 · 105
एक पड़ाव
Mohan Jaipuri Dec 2022
आंसूओं को एक उम्र के
पड़ाव के बाद ‌ना‌ करें बर्बाद
देखने वाला‌ कोई नहीं
उल्टे आंखें होंगी खराब
यदि हृदय उमड़े तो
करो पुराने दोस्त याद
सोचो‌ जो‌ साथ रहते थे
उनकी‌ भी तो थी एक मियाद
नयी पीढ़ी में अब नहीं
वह पुराने जज़्बात
सोशल मीडिया की स्रोता
ना समझे आपकी बात।।
Mohan Jaipuri Nov 2022
दक्षिण से शुरू एक संदेश
"भारत जोड़ो" जिसका नाम
बच्चे, बड़े और बुजुर्ग शामिल हो
फैला रहे हैं एक पैगाम
भारत देश की खूबी है
अनेकता में एकता
गहराइयों तक डूबी है
सड़क पर उतरें मां-बहनें
समझो बड़ी‌ मजबूरी है
मंहगाई और बेरोज़गारी
इस वक्त सब पर भारी है
भूखे प्यासे जब हों इकट्ठा
समझो  बात अब न्यारी है
भावनाओं के‌ सागर में
डूबे हमेशा अंहकारी हैं
शब्दों से ना करो आखेट
करोड़ों का खाली है पेट
करोड़ों हाथ बिना काम
कहां जायेंगे चढ़ बुलेट
जागो जागो अब भी जागो
कहीं और हो जाये ना देरी
प्रजातंत्र की रणभेरी
ना तेरी है ना है मेरी।।
Mohan Jaipuri Nov 2022
खाना हमेशा ही अच्छा होता है
बस विकल्प का खेल है
बीवी बनाये कई सब्जियां
फिर भी नाक सिकुड़ती है
अकेला रह कर वही व्यक्ति
मिर्च खाकर कहता मस्ती है
समझाये कोई समझ ना पाये
वक्त के हाथ नकेल है।।
Mohan Jaipuri Oct 2022
यह दीवाली आई निराली
हुई दो घटनाएं ना भूलने वाली
एक में बल्लेबाजी ऐसी चली
पड़ोसियों की उड़ा दी खिल्ली
तब दीवाली  'विराट' हो चली।
दूजी में गोरों के देश में
ऋषि सुनक को कमान मिली
अंग्रेजों के दास रहे कभी
आज उनके सरताज हुए
भारतीयता के समय दर्शन
के आज वो मोहताज हुए
वक्त का तकाजा है
गोरों के तख्त एक
भारतीवंश विराजा है।।
Oct 2022 · 150
जलती बाती
Mohan Jaipuri Oct 2022
आज एक दीप ऐसा जले
मेरे दिल की लौ बनकर
उसके‌ दिल को‌ रोशन करे
स्याह रातों के पहरे में
जलती बाती देखकर
मुझको वह‌ महसूस करे ।।
Mohan Jaipuri Oct 2022
आज  पंद्रह अक्टूबर
राजस्थान के काश्तकारों का दिन है
आज के दिन ही काश्तकारी
अधिनियम लागू हुआ था
काश्तकारी अधिनियम से ही
खातेदारी अधिकार मिले हैं
कुंभाराम आर्य जैसे किसान मसीहा
इस धरती‌ पर किसान हित में लड़े हैं
तब जाकर आज कहीं काश्तकर
गर्व से खातेदार कहलाते हैं
वरना जमीं जमींदार की
इस साल तूने जोती
अगले साल‌ किसी‌ और की।।
Mohan Jaipuri Oct 2022
दोनों गौ वंश
गायें खेत में हरा चरे
बछड़े सड़क पर दिख जायें
तो भी पीठ लाठी परै
विधि का विधान‌ ये देख
मेरे नयन नित अश्रु ढरै।।
Mohan Jaipuri Oct 2022
फिल्म , टीवी और
विज्ञापन की दुनियां
अजूबा ‌है हर रोल
शब्द बने अनमोल
जो बच्चन दे बोल
जिसकी ‌दीवानी
चार-चार पीढ़ियां
अस्सी में भी देख उसे
बजे हर ओर सीटियां
देख कर लगन उसकी
शर्मा जाए मधु-मक्खियां
अभी तो आये आठ दशक
दुआ है आप बनायें 
शतक पर सुर्खियां।।
Birthday wishes to amitabh bacchan on his 80th birthday on 11.10.2022
Mohan Jaipuri Oct 2022
तेरी  मुस्कुराहटों पर
जाने कितने लोग फिदा होंगे
घुंघराले इन बालों में कितनों के
ख्वाब‌ उलझे होंगे
मैं तो एक शायर हूं
मन की बात लिख देता हूं
जो लिख नहीं पाते उनके दिल
ना जाने कितने भारी होंगे।।
Sep 2022 · 97
मेरी रूह
Mohan Jaipuri Sep 2022
ये फूलों की कलियां घूंघट खोलें ‌या‌ ना‌ खोलें
तेरा एक संदेश मेरे दिल के सारे पट खोले
जरूरी नहीं कि हम साथ-साथ हों
ये हवाएं और घटायें मेरी रूह बनकर तुम्हें छू लें।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
अभियांत्रिकी में नवाचार
यही है वक्त की पुकार
जितना ज्यादा ‌नवाचार
उतना बेहतर होगा संसार।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
सतर साल‌ रही महारानी
ताज सुशोभित ब्रितानी
महारानी ‌की छवि प्रसिद्ध
ब्राइट-ब्राइट हैट्स वाली
और मनोरम आभा वाली
भारत आकर दी श्रद्धांजलि
मरे जो जलियांवाला नर संहार
हम  नत मस्तक हैं आपके
भूल जो आपने ली सुधार
ब्रिटेन की जब बात आये
खटके मन में टीस गुलामी की
संस्कार हमारे कहते ‌हैं
शायद वो हमारी‌ नियती थी
सलामी और‌ सच्ची श्रद्धांजलि
एलिजाबेथ द्वितीय महारानी को
जिसकी सल्तनत का रिकॉर्ड
कभी टूटे नहीं इसमें जरा भी
किसी को ना हैरानी हो।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
तूने जाते-जाते किया कमाल
दिया पेंटिंग तोहफा बेमिसाल
दिल जीत ले गया अपने नाल
शुक्रगुजार हैं हम समय के
साथ हमारे रहा इकबाल।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
आशाओं ‌के अम्बर में
ख्वाबों की‌ उड़ान है
जो‌ मिला वो यादों का
इन्द्रधनुष बन गया
जो‌ नहीं मिला
वही जीवन है।।
Mohan Jaipuri Aug 2022
A common man
with broad vision
Happy with his work
in every season
Often enjoyed
seeing him working
Always starved for
being ready for helping
Shared everything
but said just joking
Helped smilingly but
shown as if done nothing
Pratapnagar is today
deeply shocked
I feel today as if
My blood has dried
and tongue is tied .
# Mohan Karnani
A humble tribute
Mohan Jaipuri Aug 2022
एक मोर पंख, एक बांसुरी
एक दही की हांडी
तीनों जहां एक जगह हों
वहीं दिखता है कन्हाई
एक लाठी , एक लंगोटी
एक गोल फ्रेम का चश्मा
तीनों जहां एक जगह हों
वहीं दिखता है गांधी
दोनों ‌का ही एक संदेश
प्रेम, आस्था,त्याग का फल
सुधारेगा आने वाला कल।।
Aug 2022 · 134
यंग बोयज
Mohan Jaipuri Aug 2022
यंग बोयज के चार साल
बेमिसाल बेमिसाल।

कभी क्रिकेट का उबाल
कभी ग्लेमर का धमाल
कभी संगीत की सुर लहरी
कभी यादों की टीस गहरी
     हर अंदाज रहा कमाल
     चार साल बेमिसाल

कभी बातें पैग पटियालवी
फिर अंदाजे बयां लखनवी
गजलों का फिर सिलसिला
सुनकर जब दिल खिला
       दिल की बातें चली रेक की चाल
       चार साल बेमिसाल

कभी सैर - सपाटों की बातें
उस पर खाने की सोगातें
मिलकर जहां भी बैठें हों
रेक की बातों के खिले गुलदस्ते
       रंगो ओ सुंगध छूटा रेक के नाल
        फिर भी चार साल बेमिसाल

जब जब राजनीति ने दस्तक दी
यंग बोयज दुविधा में दिखी
राजनीति द्विधारी तलवार
इससे यंग बोयज को लेना उबार
     खाना हो तो गुड़ खाओ बाकी सब बेकार माल
     यंग बोयज है एक चोपाल
     जिसके चार साल बेमिसाल।।
Aug 2022 · 81
पत्नी
Mohan Jaipuri Aug 2022
जीवन शतरंज का खेल है
पत्नी इसमें रानी है
जिस दिन इससे पत्नी गायब
फिर बचती नहीं कहानी है।।
Aug 2022 · 101
पुर पहचान
Mohan Jaipuri Aug 2022
मेरा‌ देश ,मेरी जान
पहाड़, नदियां और मैदान
जिसकी मिट्टी निपजे अन्न
कई तरह के दलहन
नकद‌ फसल में तिलहन
जिसमें बसता मेरा मन ।

पहाड़ों में‌ जिसके है‌ बागान
सूखे मेवों पर मैं कुर्बान
शीशम , साल‌ और सांगवान
इमारती लकड़ी की हैं खान
केशर की खूशबू वाला देश
जिससे ‌बना है मेरा तन।

कल कल नदियां
कल कल झरने
हमेशा रहे जिसकी शान
सभ्यताओं की पुर पहचान
शील, संस्कारित मेरा ज्ञान
यही मेरी विश्व  पहचान।

प्रायद्वीपीय दक्षिण क्षेत्र
हमेशा‌ समुद्री व्यापार का केन्द्र
मिशाईल परीक्षण और उत्पादन
दिलाता तकनीकी में मान
मेरे‌ देश की खूबियों पर‌
मैं सौ‌ सौ बार जाऊं कुर्बान।।
Mohan Jaipuri Jul 2022
आज फिर थोड़ा इतरा लेता हूं
यह इतराने का दिन है
जिस दिन बेटी पैदा होती‌ है
उस दिन से  जीवन‌ में
खुशियों की "बीमा‌" हो जाती है।।
Jul 2022 · 138
सावन तीज
Mohan Jaipuri Jul 2022
सावन तीज सबसे न्यारी
हरियाली से भरी सब क्यारी
झूले पेड़ों पर जब डलते
मन के सपनों को पंख लगते
रिमझिम बारिश की आवाज
पुकारे  वर्षा नहाने को ।

धरती अंबर का देख प्यार
सूर्य किरणें बनाती इन्द्रधनुष
नीचे भीगी धरती की महक
बाहर मोर- पपीहों की चहक
लिपटी देख बेल पेड़ों से
ललचाये मन आलिंगन को ।

करें गोरियां सोलह श्रृंगार
लगती हर‌ एक गोकुल की नार
सहेलियों की हंसी ठिठोली
देती प्यार के गहन संदेश
नदियों का उफान‌‌ देख
भूले मन हर लाज को ।
Jul 2022 · 89
Ice cream
Mohan Jaipuri Jul 2022
Ice cream, Ice Cream
You make children beam
Some times i wonder
how it could have been
possible without you
to silence my wife scream.
# Ice Cream day
Mohan Jaipuri Jul 2022
ये फूल, कलम और कागज
बना‌ता हूं इनसे रोज ख्याली दुनियां
रंग तो जिंदगी में तभी है
जब साथ हो दुल्हनियां
जवानी‌ हो तो ठंडा करे
बुढ़ापे ढक ले मजबूरियां।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
कभी-कभी मंजिल की
परवाह किए बगैर भी
चलते रहना
अनायास ही कुछ मिल जाए
भाग्य समझ लेना
वरना व्यस्त रहने
को कम ना समझना।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
कुछ इस पेड़ की तरह
सदा यों ही बढ़ता रहे
तेरे मेरे प्यार का पौधा
कभी बाधा आए तो झुक जाए
अरुणोदय की लाली फिर भी
हमेशा इसमें नजर आए  ।।
Jun 2022 · 209
जिंदगी
Mohan Jaipuri Jun 2022
किसी की यादें जीने नहीं देती
किसी से मिलने की ख्वाहिशें
सुकून से मरने नहीं देती
यही है जिंदगी जहां तुझे तेरी
हस्ती याद ही नहीं रहती ।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
मौसम आज सुहाना है
टपकती बूंदों के बीच
सुरमई उद्यान मेरा ठिकाना है
बाहर बूंदों की टिप-टिप
अंदर दर्द विरहाना है
ऐसे में तेरे आने का संदेशा
रोमांच का खजाना है
तेरी एक झलक पर ही
छलक जाना आज पैमाना है।।
Jun 2022 · 81
पिता
Mohan Jaipuri Jun 2022
आप ही नाम
आप ही धाम
आप ही सुबह
आप ही शाम
          आप पिता हैं।

आप ही मर्यादा
आप ही धर्म
आप ही समाज
आप ही आवाज
          आप पिता हैं।

आप ही अंदर
आप ही बाहर
आप ही हुनर
आप ही समुंदर
        आप पिता हैं।

आप ही ध्यान
आप ही ज्ञान
आप ही प्रमाण
आप ही महान
       आप पिता हैं।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
अध्यात्म के गांधी का ही
दूसरा नाम कबीर है
जिनकी रचनाएं पढ़कर
जागता आज भी जमीर है।।
Kabir Jayanti
Mohan Jaipuri Jun 2022
खिलना फूलों का और
चहकना‌ मेरे यार का
बस इतना सा सार है
मेरे इस संसार का।।
Jun 2022 · 84
हरियाली
Mohan Jaipuri Jun 2022
जो तितली जैसी चंचल है
वह मेरे दिल की हरियाली है
रंग-बिरंगे रंगों से सजती
लगती मधु की प्याली है।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
अट्ठाइस साल ,एक विभाग
फिर भी एक कागज पर
किये हस्ताक्षर दूसरी बार
वह चार्ज लेन- देन था कालू का
इस बार सामने अरूपता का ढेर
देखकर लगता है टिला बालू का
जीवन‌ है खाण्डे की धार
ढाल हैं हमारे ताल्लुकात।।
Signed on same paper after 28 years with LK Daga
Jun 2022 · 96
खुजली
Mohan Jaipuri Jun 2022
जो चमकती नजरें देखा
करती थीं कभी सपने
वो नजरें हो चली हैं धुंधली
सपने सारे हाथों से फिसले
यादें बन गई हैं अब खुजली।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
आज कॉफी ‌‌कड़क है
फूलों का रंग चटख है
मौसम बहुत शुष्क है
बस तेरे ही संदेश से
जिगर में थोड़ी ठंडक है।।
Jun 2022 · 96
घना जंगल
Mohan Jaipuri Jun 2022
मेरा दिल है घना जंगल
तू हो गई इसकी माली
ले हंसिया अब तू आजा
खिला दे गुलाब की डाली।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
तू मेरे ख्वाबों की मलिका
तेरा देख चेहरा दिल धड़का

यह दुनिया लागे फीका‌ साग
तू लगे उसका तड़का।

तू मेरे ख्वाबों की मलिका......

गीत दुनिया के लगे शोर
बस तेरे स्वर चितचोर
तू आज खामोश है
पेन कवि का अटका।

तू मेरे ख्वाबों की मलिका......

रंग दुनिया के लगें सब फीके
महक फूलों की गायब
बस तेरा ही श्रृंगार देख
मेरा होता नैन मटक्का।

तू मेरे ख्वाबों की मलिका
तेरा देख चेहरा दिल धड़का।।
Mohan Jaipuri May 2022
झील किनारे एक घना वन
देख खूबसूरती लगे यों जैसे
यह है तेरे मेरे दिल का बंधन।।
Mohan Jaipuri May 2022
आखा तीज से अक्षय  बने
शिक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि
आखा तीज का कलंक मिटे
बाल विवाह से नाता छूटे।।
Mohan Jaipuri Apr 2022
आज ना लिखूं तो
मैं कैसा लेखक ?
ना पढूं तो
कैसा पाठक ?
पुस्तककोष नहीं मेरे पास
समय का है ये कैसा पाश?
लिख दूं फिर
कोई ऐसा नगमा
सबको आ जाए जो रास
सिद्ध हो जाए
पुस्तक दिवस पर
वो एक सार्थक प्रयास।
Apr 2022 · 115
हवा महल
Mohan Jaipuri Apr 2022
‌        हवा महल
गुलाबी नगर की शान है
बड़ी चौपड़ की जान है
हवाओं को जिस पर नाज है
वो निरख रहा किसी के अंदाज है।
# Negi at Hawa Mahal today
Mar 2022 · 123
रानी
Mohan Jaipuri Mar 2022
जब तक साथ रानी
तब तक है कहानी
छूटी जब रानी
दुनिया हुई बेगानी
Mohan Jaipuri Mar 2022
उधर उम्र के साथ अदायें
और उन्नत हो जाती हैं
यहां चश्मे की आड़ में आंखें भी
ताड़ने में हुनरबाज हो जाती हैं।।
Mar 2022 · 124
Comment with care
Mohan Jaipuri Mar 2022
Kashmir is beautiful
But it's sketch is dreadful
So many colours are there
But never chosen with care
Film is a film hundred percent
can't be real & fair
See it but comment with care
That is what I want to share.
Mohan Jaipuri Mar 2022
होली तेरे स्वांग और लक्षण बड़े ग़ज़ब निराले हैं
बच्चे से बूड्ढे तक आज तमाशबीन बनने वाले हैं।

मर्द पहन  लिबास जनाना
बांधे पग में घुंघरू ‌हैं
मेहरी बन कर गली-गली में
शोर मचाते गबरू हैं
घर-घर फिर फाग सुनाते,डफ पर नाचने वाले हैं।

भर पिचकारी जब कोई छैला
आंगन की तरह झांके है
नई नवेली‌ नार कई हवेली
के किवाड़ ढांके है
देख नजारा ये निराला, बूड्ढे आग में घी डालने वाले हैं।

घर का आंगन बने रंग बावड़ी
इसमें कई तैरने वाले हैं
इस नजारे का‌ लुत्फ उठाने
कई बूड्ढे नज़रें बचा के ताड़ने वाले हैं
घर का मालिक- मालकिन ही, आज छूट देने वा‌ले हैं।

भांग घोट कर पीने वाले
आकाश में उड़ने वाले हैं
मद का प्याला पीने वाले
गली में लोटने वाले हैं
सूचना पाकर घरवाले उठाकर लाने वाले हैं।

पुराने कपड़े ढूंढकर पहनने वाले
नये कपड़े पहनने वालों को ढूंढने वाले हैं
साफ सुथरी सूरत वालों को
लंगूर बनाने वाले हैं
खाने की किसी को फ़िक्र नहीं, सब रंग लगाने वाले हैं।
बच्चे से बूड्ढे तक आज तमाशबीन बनने वाले हैं ।।
Mar 2022 · 94
Few thorns never mind
Mohan Jaipuri Mar 2022
Some succulents are healthy
Some toys are wealthy
Some efforts are Praise worthy
Some climates are kind
But a few thorns are behind
Pick them and grind
These work as medicine
So their taste never mind.
Next page