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chitragupta Aug 2019
ना कभी आपसे हम ये जहां मांगे थें
ना ही कभी एक मुट्ठी आसमान मांगे थें
सिर्फ धड़कते दिल के तड़पते अल्फाजों से
आपके चेहरे पे मुस्कान मांगे थें

Never asked the world of you
Nor a handful of the sky -
Just wished that the struggling words of my beating heart
Could put on your face, a smile
Dhaneshwar Dutt Jul 2019
नशे की यह लत करदेती है बेकार।
अच्छा खासा उजड़ जाता है परिवार।
नशे की यह आदत कितनो को खा गई।
अच्छी खासी ज़िन्दगी पानी में मिला गई।
ज़िन्दगी में हर पल क्यों रहता है परेशान ।
नशे का गुलाम ख़ुद करता है अपना नुकसान
अकेला रह जाता है, साथ छूट जाता है।
तब ज़िन्दगी में नही बच पाता है प्यार।
नशे की यह लत कर देती है बेकार।
अच्छा खासा उजड़ जाता है परिवार।

ये ज़हर पहले तू ख़ुद पी जाता है।
फिर बाद में दुसरो को पिलाता है।
कभी दो घूंट लगाता है, धुँआ उड़ाता है।
नशा करके शायद तुझे बड़ा मज़ा आता है।
क्या यह नशा ही अब तेरी जरूरत है।
बिना नशे के यह दुनियाँ बहुत खूबसूरत है।
बिक चुके सबके घर, मैदान, खेत और चौबारे।
नशा करके घूम रहे है, आज युवा सारे।
नशे की लत से हो चुके सब बेरोजगार।
कोई और नही तुम स्वयं हो इसके जिम्मेदार।
नशे की यह लत कर देती है बेकार।
अच्छा खासा उजड़ जाता है परिवार।

नशा कर देगा ज़िन्दगी में घाव बहुत गहरा।
अंधेरे में जियेगा, ना हो पायेगा कभी सवेरा।
नशे की आदत में खुद नष्ट हो जायेगा।
एक दिन इस दुनियाँ से ही खो जायेगा।
छोड़ दे यह नशा आदत बहुत बेकार है।
इससे तू नही हर कोई आज परेशान है।
किसने नशा बनाया कौन है सबका गुनहगार।
पता नही कब बंद होगा यह सारा कारोबार।
नशे की यह आदत कर देती है बेकार।
अच्छा खासा उजड़ जाता है परिवार।
Dhaneshwar Dutt
Jayantee Khare Jul 2019
न बांधो
न दिशा दो
बस थोड़ा प्रकाश दो
और उड़ने को आकाश दो
कोई रहस्य नहीं, एक बेल हूँ मैं
तुम पर अवलंबित हूँ पर अमरबेल नहीं
बढ़ रही हूँ तुम्हारे संग
गुँथ गयी हूँ तुम्हारे अंग
अंत तक के लिये....
Hindi translation of "creeper"
Riddhi N Hirawat Jan 2019
Kabhi apne aap ko bhoolti ***
Kabhi apne aap ko chunti ***
Bas dhundhti *** khud ko

Kabhi inn bikhre panno mein
Kabhi inme likhe lafzon mein
Padhti *** khud ko

Kabhi dhokha kha jane mein
Fir khud ko saza de jane mein
Maarti *** khud ko

Kabhi baarish ki awaz mein
Kabhi hawaon ki aahat mein
Dekhti *** khud ko

Kabhi bajte huwe piano mein
Kabhi gaano ke taraano mein
Sunti *** khud ko

Kabhi uski aankhon ke paani mein
Kabhi uski di hui zubani mein
Paati *** khud ko

Bas dhundhti *** khud ko
Bas dhundhti *** khud ko
Aaditya Jul 2019
वो हसीन चेहरा, तड़पता है मन देखने को,
मुस्कुराती हो तुम जब, घायल कर देती हो।
पलके झपकाती तुम धीरे से या धीरे हुआ समय
पता नहीं हकीकत क्या है, खो गए हैं हम।

तुम्हारे मीठे लफ़्ज़ों का रहता इंतज़ार हमें
वक्त से पूछते हम, कब सुनने को मिले।
आरज़ू है मन में कई ज़्यादा, पड़ता ना फर्क
दिल में बस रहती हो तुम, दिल में बसती हो तुम।

फिदा हैं हम तुम्हारे हर करनी के,
बता ना सके हम कभी विस्तार से।
नासमझ तो हम हैं ही, सच है ये,
पर तुम ना समझी इशारों को हमारे।
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