वो हसीन चेहरा, तड़पता है मन देखने को,
मुस्कुराती हो तुम जब, घायल कर देती हो।
पलके झपकाती तुम धीरे से या धीरे हुआ समय
पता नहीं हकीकत क्या है, खो गए हैं हम।
तुम्हारे मीठे लफ़्ज़ों का रहता इंतज़ार हमें
वक्त से पूछते हम, कब सुनने को मिले।
आरज़ू है मन में कई ज़्यादा, पड़ता ना फर्क
दिल में बस रहती हो तुम, दिल में बसती हो तुम।
फिदा हैं हम तुम्हारे हर करनी के,
बता ना सके हम कभी विस्तार से।
नासमझ तो हम हैं ही, सच है ये,
पर तुम ना समझी इशारों को हमारे।