कुछ फासले तो है हमारे दरमियान में
रहते हैं फिर भी हम एक ही मकान में
दौलत हो तो मिल जाए हर शै जहाँ की
शोहरत नहीं मिल सकती कोई दुकान में
बुलंद हौसले हो तो क्या कुछ नहीं मुमकिन
सूराख़ भी हो सकता है आसमान में
अपने जो है सब कुछ वही हैं मान ले अजहर
बाकी किसी का कोई नहीं इस जहान में