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Azhar Sabri May 16
कुछ फासले तो है हमारे दरमियान में
रहते हैं फिर भी हम एक ही मकान में

दौलत हो तो मिल जाए हर शै जहाँ की
शोहरत नहीं मिल सकती कोई दुकान में

बुलंद हौसले हो तो क्या कुछ नहीं मुमकिन
सूराख़ भी हो सकता है आसमान में

अपने जो है सब कुछ वही हैं मान ले अजहर
बाकी किसी का कोई नहीं इस जहान में

— The End —