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Sep 22
कविता
जिंदगी - माँ की सीख

तुझे जिंदगी में केसे है जीना मुझे है सीखना,
लोगो के बीच केसे है रहना मुझे है ये बताना,
दिल की सुनु या दिमाग की मुझे पता है तुझे ये पूछना,
दिल, दिमाग में से हर वक्त होगा एक कहीं न कहीं भारी पलड़ा,
भारी में होगा हमेशा स्वार्थ तेरा अपना, स्वार्थ को बुरा  समाज है बतलाता,
पर स्वार्थ भावनाओ का ही ताना - बाना,
दिल ना दुखता हो अगर किसी का तेरे स्वार्थ से तो तू उसे ही चुनना
जिंदगी आसान नहीं, पर बेहतर हो जायेगी तेरी मुन्ना

स्वार्थ को छोड़ के ना चुनना, किसी का दिल बहलाना,
वरना भूल जाना मुस्कुराना, खुद को ही चुनना,
वरना खुश जिंदगी बन जाएगी, सिर्फ एक सपना ।
Written by
Jhalka Mishra  29/F/India
(29/F/India)   
  1.3k
   Urvashi
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