तोड़ने शत्रुओं का गुरूर अंदर ही अंदर देश दुनिया की फिजाओं में बदस्तूर ज़ारी है युद्ध का फितूर। देश कब हमला करेगा ? करेगा भी कि नहीं ? इस बाबत कोई भी निश्चय पूर्वक कह नहीं सकता। सब कुछ भविष्य के गर्भ में है। हां ,यह जरूर है कि देश निश्चिंत हैं ... शत्रु नाश होकर रहेगा। उन्होंने सर्वप्रथम कायराना हमला किया था। देश भी निश्चय ही पलटवार अपना समय लेकर अपने ढंग से करेगा, शत्रु पक्ष आगे से कुछ करने से पहले गहन सोच-विचार करेगा। वह निश्चय ही कभी न कभी बिन आई मौत मरेगा। भीतर ही भीतर देर तक डरता रहेगा। खुद-ब-खुद शत्रु को उसका अपना ही आंतरिक डर सर्पदंश सरीखा जख्म दे देगा। फिर वह कैसे जीवित रहेगा ? असंतोष और असंयम ही अब उसकी पराजय की वज़ह बनेगा। फिर कैसे वह लड़ने की हिमाकत करेगा ? ०४/०५/२०२५.