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Apr 28
शब्द ब्रह्म का मूल है
पर यही शब्द
बिना विचारे प्रयुक्त हो
तो कभी कभी
लगने लगता है
अपशब्द !
जो कर देता है
अचानक हतप्रभ !
आदमी एकदम से
भौंचक्का रह जाता है।
उसे पहले पहल
कुछ भी समझ
नहीं आता है ,
जब भी समझ आता है,
वह खिन्न नजर आता है।
लगता है कि उसे अचानक
किसी ने चुभो दिए हों शूल।
शब्द अपने मंतव्य को
ठीक से व्यक्त कर दे ,
बस इसे ध्यान में रखकर
शब्द को प्रयुक्त कीजिए।
बिना विचारे इस शब्द ब्रह्म का
इस्तेमाल भ्रम फैलाने के लिए
हरगिज़ हरगिज़ न कीजिए।
इसे सोच समझकर प्रयुक्त करें ,
ताकि यह भूले से भी कभी
अपशब्द बनता हुआ न लगे !
आदमी को चाहिए कि
ये सदैव मरहम बनकर काम करें!
बल्कि ये अशांत मानस को
शीतलता का अहसास करा कर शांत करें।
२८/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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