शब्द ब्रह्म का मूल है पर यही शब्द बिना विचारे प्रयुक्त हो तो कभी कभी लगने लगता है अपशब्द ! जो कर देता है अचानक हतप्रभ ! आदमी एकदम से भौंचक्का रह जाता है। उसे पहले पहल कुछ भी समझ नहीं आता है , जब भी समझ आता है, वह खिन्न नजर आता है। लगता है कि उसे अचानक किसी ने चुभो दिए हों शूल। शब्द अपने मंतव्य को ठीक से व्यक्त कर दे , बस इसे ध्यान में रखकर शब्द को प्रयुक्त कीजिए। बिना विचारे इस शब्द ब्रह्म का इस्तेमाल भ्रम फैलाने के लिए हरगिज़ हरगिज़ न कीजिए। इसे सोच समझकर प्रयुक्त करें , ताकि यह भूले से भी कभी अपशब्द बनता हुआ न लगे ! आदमी को चाहिए कि ये सदैव मरहम बनकर काम करें! बल्कि ये अशांत मानस को शीतलता का अहसास करा कर शांत करें। २८/०४/२०२५.