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Feb 23
अब तक सभी
अपने अपने कर्म चक्र से
बंध कर
जीवन को साधे हुए हैं ,
आगे बढ़ने के लिए
संयम के साथ
स्वयं को
तैयार कर रहें हैं।
सभी को पता है अच्छी तरह से ,
जो बीजेंगे , वही काटेंगे !
यदि कर्म नहीं करेंगे ,
तो आगे कैसे बढ़ेंगे !
जीवन चक्र से मुक्ति की राह में
अनजाने ही एक बाधा खड़ी कर लेंगे।
सो सब अपनी सामर्थ्य से
भरपूर काम कर रहे हैं ,
इस जीवन में सुख के बीज बो रहे हैं ,
बल्कि आगे की भी तैयारी कर रहे हैं।
सनातन में कर्म चक्र
सतत चलायमान है ,
जन्म मरण का खेल भी
कर्म के मोहरों से चल रहा है।
अरे मन ! इस जीवन सत्य को समझ के
आगे बढ़ , कर्म करने से पीछे न हट।
व्यर्थ ठाली बैठे रहने से टल।
कर्म करने से न डर, मतवातर आगे बढ़।
आगे बढ़ने की लगन अपने भीतर भर!
इस जन्म को यों ही न व्यर्थ कर !!
२३/०२/२०२५.
Written by
Joginder Singh
53
 
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