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Jan 11
आज
आसपास
बहुत से लोग
बोल रहे हैं
नफ़रत की बोली ,
जो लगती है
सीने में गोली सी।
वे लोग
डाल डाल और पात पात पर
हर पल डोलने वाले ,
अच्छे भले जीवन में
विष घोलने वाले ,
देश , समाज और परिवार को
जड़ से तोड़ने में हैं लगे हुए।

उनसे मेरी कभी बनेगी नहीं ,
क्योंकि वे कभी सही होना चाहते नहीं।

वे समझ लें समय की गति को ,
आदमी की मूलभूत प्रगति की लालसा को ।
यदि वे इस सच को समझेंगे नहीं ,
तो उनकी दुर्गति होती रहेगी।
उन्हें हरपल शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी।
जिस दिन वे स्वयं की सोच को
बदलना चाहेंगे।
समय के साथ चलना चाहेंगे।
ठीक उस दिन वे जनता जर्नादन से हिल मिल कर
निश्चल और निर्भीक बन पाएंगे।
वे होली की बोली ख़ुशी ख़ुशी बोलेंगे।
उनकी झोली होली के रंगों से भर जाएगी ।
उन्हें गंगा जमुनी तहज़ीब की समझ आ जाएगी।
वे सहयोग, सद्भावना और सामंजस्य से
जीवन पथ पर अग्रसर हो जाएंगे।
देश , धरा और समाज पर से
संकट के काले बदल छंट जाएंगे।
सब लोग परस्पर सहयोग करते दिख जाएंगे।
११/०१/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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