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Dec 2024
साथी
चाहता जब सुख
और
बिना हेर फेर
कर देता
अपनी चाहत का
इज़हार।

तब
एक  सकपकाहट
स्वत: भीतर आ जाती,
तोड़ देती
कभी-कभी
आत्मविश्वास तक !
आदमी सोचने लगता तब ,
अंदर भरे हैं ढ़ेरों दुःख ,
रह जाता वह तब चुप।

भीतर
एक डर
बना रहता है,
कहीं साथी
इसे कुछ और न मान लें !
काश ! वह मेरी मनोदशा जान ले !!
२१/१२/२०१६.
Written by
Joginder Singh
63
   dead poet
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