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Aug 2020
माँ
सिर्फ शब्द नहीं आवाज नहीं ,साज़ के जैसे बजती है,
माँ एक ऐसा दर्पण है, जिसमे दुनिया दिखती है,
कोमलता हर रोम रोम मे, फिर भी मुश्किल से लड़ती है,
हो ना जाऐ हमको कुछ छोटी-छोटी बातों से डरती है,
पावनता का मंदिर जिसमे, जैसे पूजा की थाली है,
मुस्कान तो जैसे लगती उसकी, फूलों की बगिया वाली है,
तपती धूप मे पानी के झरने सी,दिखती धूप सुनहरी सी,
विश्वास की जैसे नींव है वो ,मन का एक सुकून है वो,
कहीं समंदर की लहरों के जैसी तूफानी सी,तो कहीं नदियों के शांत वो पानी सी,
माँ के आशीर्वाद बिना, सारी दुनिया बेगानी सी,
अस्तित्व प्रेम का,प्रेम जगत की, जीती जागती कहानी सी,
माँ के आँचल के छाँव तले सारी दुनिया पलती है,
माँ ऐसा अनुराग है जिसमे भेदभाव की जगह नहीं,
सिर्फ शब्द नहीं ........................................
Written by
rajni gupta  39/F/Mumbai
(39/F/Mumbai)   
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