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Aug 2020
मन एक उड़ता पंछी होता है,
उड़ते ख्वाबों का रैन बसेरा  होता है,
उमड़ घुमड़ कर महलती चाहतों का सबेरा होता है,
जाने कितने सवालों का घेरा  होता है ,
ये बावरा मन ना जाने कितनी बार अकेला होता है,  
किसी की चाहत को सोचता है किसी को यादों मे खोजता है ,
कभी बारिश की बूंदों मे तो कभी हवाओं मे खेलता है,
ये बावरा मन .............................
कभी उड़ता आकाश मे पतंगों सा,कभी सागर की लहरों सा ,
कभी मुस्कान प्रेमी की तो कभी प्रेमिका के आँचल सा ढलता है ,
ये बावरा मन .....................................
Written by
rajni gupta  39/F/Mumbai
(39/F/Mumbai)   
39
 
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