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Armin Dutia Motashaw
Poems
Aug 2020
हे कन्हाई
हे कन्हाई
हे कन्हाई, मेरे दर्द से भरे विरह गीत आके सुन;
बडी मायुसी से भरी है हर एक प्रेम धून ।
रची है मैने हरएक, दिल के तारोँ को बून
मिश्रित है इनमे तेरी मुरली की तान, और धून ;
इस बात का कर न सकेगा तु इन्कार
याद कर, तुने किया था मुझे प्यार
मैने भी किया था वही प्यार का, इकरार ।
अब यह प्यार भुलाके, रुलाये तु मुझे क्यु बार बार?
आ भी जा ओ हरजाई, तुने ही है यह आग लगाई ;
दिवानी हो गई हु मोहन, जब से प्रेम धुन तुने सुनाई
क्यू तुने बंसी की वोह मधुर धुन, मुझे सुनाई
चले जाना था यूह दूर, तो दिल मे मेरे, आश क्यू जगाई?
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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