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Armin Dutia Motashaw
Poems
Jul 2020
मीरां की पीड
मीरां की पीड
दिल मेरा, पर गिरिधर, उसपे पुरा बस तेरा
प्रीत मेरी, पर रित तो उसपे मनमोहना, तेरी
एक छोटासा जुठ क्या कहा किसिने, बता के मूर्ती तेरी;
जन्मो जनम के लिए, मै हो गई तेरी दिवानी
न राणाजी हो सके मेरे, न मै उनकी; सदा रही पराई
मन मोहन, यह क्या बात हुई , रानी से बना दिया मुझे दासी ।
मीरां की पीड तुने न जानी, छोड़ दिया उसको बनाके दिवानी ।
अब भटके वो गली गली लेके एकतारा, गाये गीत तेरे
पुकारे तुझे गा गा कर,
"गिरिधर नागर, मीरां है तेरी दीवानी "
मीरां की पीड किसिने न जानी, बन बन भटके बिचारि ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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