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Jun 2020
झलक

तेरी एक झलक को तरस गए है यह नैन;

कटती नही यह नागिन सी लम्बी रैन,

पिया, तोरे बिना, जिया मोरा है बेचैन

किससे कहू मेरी यह दुख भरी बैन?

मचल रहे हैं तेरी एक झलकको, मेरे यह बेताब नैन ।

आ, आ भी जा, यूह न तडपा; चुरा के चैन

प्रितम, यह आँसू भी है, तेरी ही देन ;

तेरी एक झलक को, तरस गए है यह नैन ।

Armin Dutia Motashaw
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