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May 2020
अधुरी बात

आज कल, रात भले हो लम्बी और गमगीन; अमावस्य की;

पर तारें अब भी, आज भी,  चमकते है इसी गगन मे ।

गम न कर ए दिल,  कल होगी एकबार फिर से चांद रात

देख  तारें दूर रह कर भी करते है एक दूजेसे प्यारी प्यारी बात  

तू भी फोन उठा कर, कर ले, अपनो से थोड़ी सी बात

अब तो  वक्त है तेरे पास, कर ले बिछ्डों से अपने मन की बात

कोई तो अधुरी रह गई होगी तेरी, तेरे अपनो से बात;

कर ले वह आज पूरी, न जाने फीर वक्त मिले न मिले,

खत्म कर दे  दिल की दूरी, तु भी जरा चैन से जी ले ।

जल्द बीत जाए यह लम्बी अमावस की काली  रात;

जल्दी से आये हमारे जिवन मे फिर से एक बार   पूर्णिमा की वो सुहानी रात ।

Armin Dutia Motashaw
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