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May 2020
ओ  चांद

शिकायत करती हूँ मै  तुझसे कई बार ;

क्या देता है तू उन्हे मेरा भेजा हुआ प्यार ?

क्या पहुचाता है मेरा संदेश तू उनको, मै यह जानू ना।

दिल की बाते दिल में छुपा के बैठी हूँ मै;

उन्के प्यार में खो गया है दिल मेरा, मुझे है ले डुबा;

सिर्फ तू ही जानता है, जो  कहती नही यह जुबां ।

क्या सुनाता है तू उन्हे मेरी फरियाद ?

क्या वो भी करते है मुझे कभी कभी  याद ?

इतना जरा बता जा, बादलों में छुप जाने से पहले

जब वो लौटे, तो आना तू , लेकर संदेश उन्ह्से पहले ।

क्या वो भी भेजते हैं संदेश या करते है तुझसे बात ?

क्या मेरी तरह वो भी ज़न्ख्ते है मुलाकात ?

Armin Dutia Motashaw
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