Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Apr 2020
अपना बेगाना

है तो  तु आखिर एक बेगाना, जो लगे  अपना

तु है वो सपना  जो  कभी नहीं हो सकता है अपना

कसुर है मेरा, दिल जो दे बैठी तुझे  अपना;

वो अपनाही पगला दिल, जो हो न सका कभी अपना

हो गया है वो पराया, जबसे माना तुझे मैने अपना

अब  यह जिवन सारा, बन गया है एक भयानक सपना

एक बेगाने ने सारे जिवन को बदल डाला; दिल रहा नहीं अपना

पल भर का प्यार, कभी हुआ न इकरार, और दिल रहा न अपना

काश ऐसा होता ! यह ही बेगाना, बन जाता मेरा अपना

Armin Dutia Motashaw
47
 
Please log in to view and add comments on poems