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Apr 2020
आज भी यह दिल धडकता है तेरे   लिए

बता जा,  तेरे बिना, हम जिए तो कैसे जिए

रोशन है तुझसे ही , इन बुझती हुई आखो के दिये

पर बता जा, तेरे बगैर जिए तो हम कैसे जिए!!!

दुरी का दुख सहन नहीं होता, बैठे हैं जुदाई का दर्द लिये

किसे पूछू, यह दर्द, यह जुदाई, मालिक ने क्यूँ दिए  

अरमान बुझ गये, फिर भी बैठे हैं हम एक आश लिये

कितने सावन आये और गये, बस तुने अश्रु और दर्द ही दिए

फिर भी, पता नहीं, क्यों बैठे हैं तुझ से  जुठी उम्मिद लिए

कभी आ के बता जा, यह कातिल  जुदाई के साथ हम कैसे जिए ।

Armin Dutia Motashaw
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