गुलाब से हम गुलकंद बनाएं गर्मी की इससे तपिश मिटाएं प्रस्ताव हमारे परिजन ही करें हम तो उनका वचन निभाएं चॉकलेट निसंदेह स्वाद में अच्छा इस जैसा स्वभाव रखने की इच्छा टेडी -वेडी की छोड़ो बात यह है गुड्डे- गुडियों की औकात प्रॉमिस तो कुल की मर्यादा का अच्छा इसके बिना सब कुछ कच्चा हग व किस्स की यदि शादी से पहले हो बात शादी के बाद प्रीत की कहां सौगात वैलेंटाइन है विदेशी संस्कृति इसकी हमारे यहां नहीं बनती बात।
हमारे वैलेंटाइन की अनोखी रीत शादी पर ही बजे संगीत चाचा ,ताऊ ,भाई- बंधु दें बंदोरे हल्दी उबटन से बना-बनी हो जायें गौरे बान, बनोरी, गाजे-बाजे बारात में गाजें दूल्हे राजा घोड़ी पर विराजें लाखों के जेवर से लकदक दुल्हन परियों की आभा से सजें हजारों लोगों के भोज के बाद फिर कोई फेरों की आये रात इतनी मुश्किल से वैलेंटाइन पायें इसलिए कहता हूं वैलेंटाइन है विदेशी संस्कृति इसको हम कैसे निभायें।