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Feb 2020
मालिक मेरे

काश होता यह दिल बेदिल, पत्थर सा !

क्यू बनाया तुने इसे नरम मोम सा ?

अनुभवता है यह भारी पीड़ा  हर समय ।

दर्द और पीड़ा, हो जाती है असहय;

जब देखते है दुख ऑरोका, उनकी मुश्किल;

तब रो लेता है, तड़प उठता है यह दिल ।

अरे अरे मालिक मेरे, यह क्या कर डाला तुने !

रास न आये यह दुनियां के रिवाज़, जो बनाए तुने।

कच्ची कलियों को मसलना, इतने बलात्कार;

असहाय, बूढ़े मात पिता का, करना बहिष्कार ;

अगर बच्ची हो तो, करवाना उस मासुमका गर्भपात;

या वो शराबी पति, जो मारता है बीवी बच्चों को लात ।

क्या हो गया है इस जहां को, क्यों है इतने कंस !

याचना करू, छोड़ दे ओ मालिक मेरे, बनाने उसके वंश ।

Armin Dutia Motashaw
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