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Jan 2020
कब होगी

ऐसे तो आती है अमावस हर माह

पर मै तो सालों से भर रही हूं आह

जाने कब आएगी चांद रात लेके, कोई माह

क्यू की कभी न धरी तुने यह नाज़ुक बांह;

न तो कभी मिली मुझे तेरी बाहों में पनाह ।

जाने कब होगी पूर्णिमा; सालों से देखती हूं राह ।

सालों का इंतजार होगा न पूरा; आएगी न कभी पूर्णिमा;

न खिलगा चांद कभी इस आंगन में; बस सुनाएगी आह ।

Armin Dutia Motashaw
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