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Jan 2020
बिन लहरों के कैसा सागर
खुशियां मिलना
सुबह की मानिंद
बिन‌ रैना‌ कैसा
दिन का आनंद
विवेक का मंथन
विपदा पर निर्भर
बिन बाधा‌ कैसा
धीर उजागर
बिना लहरों के
कैसा सागर।

मेहनत और चिंतन
आपका कर्तव्य
असफलता से अविचलन
आपका धैर्य
धैर्य है सफलता का सोपान
बिन धैर्य कैसा
विवेक उजागर
बिन लहरों के
कैसा सागर।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
  52
 
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