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Jan 2020
जीवन की खुशफहमी
यह है कि जब ऊर्जा होती है
तब वास्तव में समझ नहीं होती
और लगता है मैं सब जानता हूं।

फिर जब समझ नायाब बन जाती है
और लगता है कि
मैं सब कुछ कर सकता हूं
तब वास्तव में पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती है।

यानी कि जब वक्त होता है
तब उसका मूल्य ज्ञात नहीं होता
और जब मूल्य समझ में आता है
तब तक वक्त निकल जाता है
यही जीवन का द्वंद्व है
जिसको समझना अपूर्ण ही रहता है।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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         Sarita Aditya Verma, RSB and Edward
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