Hello, Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2025 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Jan 2020
हमराज
हमराज
दर्द मेरा, किसे मै सुनाऊं, कोई रहा न अब हमराज;
और सताने से तो, यह दुनियां, आती नहीं बाज़ !
दफ़न किए बैठे हैं हम सीने में गम, दर्दभरे राज़
देख के रह जाते है दंग, अपनी ही दुनिया के अंदाज़ !!
सीना हो रहा है छलनी; पर निकलती नहीं कोई आवाज़
घावों से भरा है जिगर, सुलग रहे है अरमान
आंसु और आहें है बेशुमार; ले के रहेगी जान
पर ऐसे भी, चाहता है कौन जीवन; खुशी से लूटा देंगे जान
दुनियां में कद्र नहीं करता कोई वफा और ईमान
दर्दभरे दिल से, निकलती है आवाज़; "अब ले ले यह जान "।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
37
Please
log in
to view and add comments on poems