जब आंख किसी से लगती है तब आंख में छवि उसी की बसती है बातें सारी उसकी कानों में गूंजती है खिलखिलाहट हरदम सुनाई देती है अनुराग की आग दिल में ऐसी दहकती है सारे दरिया उसे मिटाने में असमर्थ होते हैं किसी को कही नहीं जाती मनोदशा क्योंकि पशोपेश में ऐसे फंसा मन नहीं रहता खुद के पास तन नहीं जा पाता उसके पास नींद अब आती नहीं पल भर बस प्यास बन जाती है नींद हर।