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Jan 2020
बेलन की सुनो व्यथा
इसकी भी है अपनी कथा
गीले आटे को आकृति देता
कभी रोटी ,कभी पराठा बनाता
रोटी खाकर तृप्त होते
गृहिणी का गुणगान करते
पर बेलन को याद नहीं करते।

जैसे ही गृहिणी का बिगड़े मिजाज
सबसे पहले उसे बेलन की आए याद
इस दु:ख की ना कहीं फरियाद
भाई लोगों यह बात रखो याद
अब बेलन बना हथियार
इससे होगा अब अत्याचार
अब बेलन ही रहेगा याद
सोच लिया इसको करेंगे बर्बाद।

ना बेलन के बिना रोटी बनती
ना बेलन चलाने वाली दाल‌ गलती
इसलिए है बस रिश्क में जीना
समझो बेलन को प्रीमियम और
बेलनवाली को जीवन बीमा
इसी से चलता है यह जीवन
कभी तेज और कभी धीमा-धीमा।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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   Jayantee Khare
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