Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Dec 2019
देखते ही तुझे हम अपना यह दिल गए हार ;

लोग शायद इस ही को कहते है प्यार ।

पर तुझसे इस प्यार का कर न सके इज़हार

दिल की बात दिल में रही, हुआ न कभी इकरार;

पर, फिर प्यार कर न सके हम कभीभी दूसरी बार

अगर इसे जीना कहते है तो जी रहे है, बेह रही है समय की धार ।

बस कन्हाई , तुझे याद करते हैं बार बार ।

Armin Dutia Motashaw
58
 
Please log in to view and add comments on poems