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Dec 2019
मान ली हार

थक गए तेरी राह निहारते हुए, यह उदास नैन

अब काटते नहीं कटते जुदाई के, यह दिन रैन ;

याद में तेरी, होने लगे है हम भी अब बेचैन ।

लायक शायद नहीं थे हम, पाने के लिए तेरा प्यार;

कर न सके समझौता, क्यू की प्यार नहीं है व्यापार

सालों के इंतज़ार बाद, अब मानली है हमने हार

आश थी हमें, आएगा एक दिन तु जरूर;

विश्वास भी था, और था हमें, हमारे प्यार पे सुरूर

जल्दबाजी नहीं थी  हमारे प्यार में, न था कोई गुरूर ।

पर कन्हाई, तुझे तो कभिभी, न आयी मेरी याद

बेचारे गोप गोपियों ने भी, खूब  की तेरी फरियाद ;

कान्हा तु तो राजा बनके कर गया हमें बरबाद ।

सालों के इंतजार के बाद, हार गया मेरा प्याय;

कान्हा, आज तेरी राधिका ने मान ली है हार

तु भी कुबूल कर ले, के आधा अधूरा रह गया हमारा यह प्यार।

Armin Dutia Motashaw
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