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Armin Dutia Motashaw
Poems
Nov 2019
तेरा मेरा
तेरा मेरा
ऐसा क्या देखा तुझमें, दिल हो गया तेरा;
और उसपर भी, मानो, सारा दोष है बस मेरा ।
किस्मत का है यह खेल सारा, दोष न तेरा है न मेरा
दिल पर मेरे , न काबू रहा मेरा, फिर कैसे कहूं दोष है तेरा
लाखो लोगो में, मैंने तुझे ही क्यों चाहा;
बस तुझे ही क्यों इस दिल ने सराहा ?
क्या इस पसंद के लिए, तुम मुझे दोगी दाद ?
या करोगी इस बात के लिए, औरो से मेरी फरियाद ?
प्रियतमा तुम मेरी हो न हो, मै तो हूं बस तेरा
इस बात को तुम मानो या न मानो, प्यार तो सच्चा है मेरा ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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