Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Nov 2019
तेरा मेरा

ऐसा क्या देखा तुझमें, दिल हो गया तेरा;

और उसपर भी, मानो, सारा दोष  है बस मेरा ।

किस्मत का है यह खेल सारा, दोष न तेरा है न मेरा

दिल पर मेरे , न काबू रहा मेरा, फिर कैसे कहूं दोष है तेरा

लाखो लोगो में, मैंने तुझे ही क्यों चाहा;

बस तुझे ही क्यों इस दिल ने सराहा ?

क्या इस पसंद के लिए, तुम मुझे दोगी दाद ?

या करोगी इस बात के लिए, औरो से मेरी फरियाद ?

प्रियतमा तुम मेरी हो न हो, मै तो हूं बस तेरा

इस बात को तुम मानो या न मानो, प्यार तो सच्चा है मेरा ।

Armin Dutia Motashaw
55
 
Please log in to view and add comments on poems