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Jun 2019
अगन- यह आग

ठंडी बारिश की बूंदे; ठंडक न पहुंचाए; जगाए तन में आग

और शीतल चांदनी लगाए तन पे, चन्द्रमा वाला दाग ।

राह देखते देखते कली मुरझा रही है, उदास है सारा बाग

वो ऐसे ही मुरझाई थी, जब होली में आए न थे पिया, बीत गया था फाग

पिया का न कोई संदेश, न ठिकाना; भले का- का करता रहे काग

उसकी खुशियों का गला घोट रहा है नसीब; बन के एक जहरीला नाग ।

थक गए है नैना, राह निहारते, बढ़ती जा रही है अगन, कैसे बुझेगी यह आग ?

Armin Dutia Motashaw
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