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Jun 2019
ख्वाहिशें

ख्वाहिशें मरती नहीं, न तो भुलाई जाती है ;

यह तो बस यादे बन के, हमें अक्सर सताती है ;

कभी कभी तो यह, हमें बहुत रुलाती भी है ।

खाहिशे मेरी, थी बहुत छोटी, फिर भी न मिली,

तब किसी ने कहा," प्रीत प्रेम है दोनों ही किम्मती ;

ये आसानी से मिलते नहीं, गलतफहमी है यह तेरी "

"आज के दौर में सच्ची प्रीत, सच्चा प्यार मिलता नही ।

वफा, दोस्ती, ईमानदारी की करना नहीं तु अपेक्षा"

तब लगा, यह "लोन" के ज़माने में गाडियां, घर मिल भी जाए;

पर मुफ्त में भगवान ने जो दी है भावनाए, वोह आजकल मिलती नहीं ।

मैंने पूछा, "तो क्या इंसान ख्वाहिशें रखनी छोड़ दें ?"

तब कहा उन्होंने, "बालक दिमाग से काम लो, दिलवालों की दुनिया अब रही नहीं"

ख्वाहिशें मेरी, मेरे मन में ही रह गई, जमाना जीत गया, मै हार गई ।

Armin Dutia Motashaw
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