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Jun 2019
सुन मेरी मुनिया....

हम थे पागल; सबको समझते थे अपना;

पर था वोह तो एक जूठा पर हसीन सपना ।

आंख खुली तो समझ आया कि सपने अक्सर टूट जाते हैं

आंखे खुलते ही, कठोर सच्चाई दिखा जाते हैं ।

भुल गए थे हम की दुनिया चलती है पैसों के जोर से;

मिलती है बेरुखी और धोका अक्सर अपनो की ओर से ।

रुतबा हो, पैसा हो, शान हो तो कुत्ते की तरह पूंछ हिलाती है दुनिया;

यह ही कठोर सच्चाई है, याद रखना तु, मेरी मुनिया ।

Armin Dutia Motashaw
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