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May 2019
इंतज़ार

चांद खिला है आज, पुर बहार,

देख उसे दिल हो रहा है बेकरार

याद आया है मुझे, मेरा
प्यार ।

सितारों की मानो निकली है बारात,

बड़ी दिलकश है यह रातों की रात,

पिया, काश मिल जाता मुझे तेरा साथ !!

ठंडी हवा बदन गुदगुदा रही है;

फूलों की सुहास हवाओं में घुल रही है ।

लगता है मुझे, घड़ी मिलनकी, यही सही है ।

आज प्रीतम से होगी मुलाकात,

होगी प्रेम भरी मीठी मीठी बात;

यूहीं इन बातों में, निकल जाएगी सारी रात ।

पतझड़ भी हो जाए बहार,

जब हो तेरी बाहों का हार।

यही तो है प्यार, जिसका है मुझे इंतज़ार ।

Armin Dutia Motashaw
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   Surbhi Dadhich
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