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Armin Dutia Motashaw
Poems
Apr 2019
जादूगर
जादूगर
देखा नहीं दुनियाभर में, तुझसा कोई जादूगर ;
कर सकता है तु तो कुछ भी, पर चाहे तु अगर ।
पानी में तु एक भयानक आग लगा सकता है ;
और जलती धरापर पानी बरसाने की क्षमता रखता है ।
रेगिस्तान में बरसाए बूंदे तु, ले आए सावन;
या तो खिल जाए चमन वहा, या एक घना वन
खल खल बहे झरना, जहां कुछ समय पहले ही थी सिर्फ रेत ।
या तो फिर अचानक गिराए जलती धरा पर, बर्फ श्वेत ।
पल भर में गुलाबो से भरा गुलिस्तां, बना दे तु रेगिस्तान;
या धराशाही कर दे महल या मीनार, जगा के तूफ़ान ।
आंधी में तु दीप जलाए और वोह बुझ भी न जाए
तेरे चाहनेसे पल भर में, मौसम बदल जाए ;
सावन की ठंडी फुहार, दिल में आग लगाए, या तो वो ही, आग बुझाए ।
सारी दुनिया में केवल एक; तु तो है बस एक महान जादूगर ।
झुक जाए तेरे सामने राजा महाराजा ओ का सर ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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