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Apr 2019
पी से मिलन की रात

झगमगाते तारों की जैसे आज निकली हो बारात

आधा चंद्रमा खेल रहा है छुपा छुपी बादलों के साथ ।

बड़ी ही हसीन, बड़ी सुहानी है, आज की यह रात ।

बड़ी मुद्दतके बाद आयी है, यह मिलन की रात ।

ठंडी हवा चल रही है, मेरे नरम गालों को सेहलाते हुए;

मेरे घने काले  जुल्फों को, बादलों की तरह बिखराते हुए ।

पायल की रूम झुम, नैया में संगीत बिखेर रही है;

धड़कते दिलों की  धड़कन का संगीत हवाओं में गूंज रहा है ।

और हौले हौले, छोटी छोटी मौजो के संग खेलती नदी बेह रही है ।

दिल झूम रहा है, शराब बिना शबाब छाया हुआ है।

आंखो में मस्ती भरा खुमार है; नशा छाया हुआ है ।

पी से मिलन होगा आज; नज़ारों में जादू छाया है;

आज मुहसे निकलेंगे न कोई अल्फ़ाज़; बस नशा छाया है ।

सालों के इंतज़ार बाद, आखिर आ ही गई, पी से मिलन की यह रात ।

आए हैं मेरे पीया चांद बनके, लेके तारों की बारात ।

Armin Dutia Motashaw
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