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Apr 2019
मुस्कुराहट

ऐ बेदर्द ज़माने, क्यों छीन ली तूने मेरी मुस्कुराहट

दिखती नहीं बस कभी सुनता हूं उसकी आहट

वो, जो चिपक के हरदम रहती थी मेरे साथ;

छोड़ दिया उसने मेरा थामा हुआ हाथ ।

चली गई वो, करके मुझे बरबाद ।

अब न जाने कब हूंगा मै आबाद !!!!

आजा, तुझे मै दिल से पुकारू, आ भी जा

इस तरह मुझे न तड़पा और तरसा

होठ मेरे सुक गए, चेहरा है मायूस, मुरझाया

यू न इत्रा; इतना भी वाक़्त न कर ज़ाया ।

Armin Dutia Motashaw
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