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Jan 2019
मिलन

कितना हसीन है यह रंगीन नज़ारा !

विशाल बहती नदिका सुनहरा किनारा !

और आज मौसम भी है नशीला, बड़ा ही प्यारा ।

चंचल है लहरें उसकी, और तेज है धारा;

उसकी यही चंचलतापे, सागर उसका दिल हारा

उसे अपनी बाहोंमें लेने, फिरता है मारा मारा ।

कितना दिलकश, कितना हसीन है यह नज़ारा ।

कश्ती में कोई, आज शायद मिलन होगा हमारा

सदियों बाद मिलेंगी मौज से मौज; एक हो जाएंगी जीवनधारा ।

नदी चली है सागर में समाने, चली छोड़ के अपना किनारा ।

खिल उठी है वो; पि से होगा आज मिलन, बड़ा ही प्यारा;

दिलकश होगा बड़ा, यह मिलन का, यह प्यारा नज़ारा।

Armin Dutia Motashaw
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