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Dec 2018
ऐसा क्यों हुआ

बचपन मेरा, था खुशियों से भरपूर
मानो दुख तो था मुझ से, कोसो दूर
पर किस्मत ने किया मज़ाक एक क्रूर
अब हो गई है मेरी खुशियां मुझसे कोसों दूर ।

अब सोचने के लिए हो गया हूं मै मजबूर;
मुझे मेरी खुशियों का, न घमंड था न गुरूर
पता नहीं, ऐसे क्यू हुआ, मैं तो कभी न था मग्रुर ।
किस्मत को शायद मेरी खुशियां नहीं थी मंजूर ।

Armin Dutia Motashaw
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