आजा के अब, और इंतजार होता नहीं है । जरा सोच तु, क्या इतना तड़पाना सही है ? सालों बीते, कितने सावन आए और गए; हम तो बस, तेरी जुदाई में, यूंही तड़पते रह गए ।
इतना भी निष्ठुर न बन तु, ओ मोरे पिया ; क्यों इतने सालों से तड़पाता है मोरा जिया ? इस बिरहन को युह न सता, थोड़ा प्रेम जता । कब दर्शन देगा मुझे, यह तो ज़रा मुझे बता ।