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Nov 2018
ऐ खुदा,

क्यों रिश्तों का हो रहा है आजकल व्यापार?
जो इंसानों में बसता था; कहां खो गया वोह प्यार?

ओ जग के मालिक, क्या पूछ सकती हूं तुझे यह सवाल;
यह क्या हो गया है, तेरी दुनियां का हाल ?

हर जगह जूठ, हर पल धोका, हर रिश्ता खोखला।
यह रिष्टोका खोखलापन देख के , इंसान  गया है बौखला ।

घर छोटा हो सकता है पर दिल छोटा हो तो कोई क्या करें ?
दिल मतलब से भरा हो, जुबां पे कुछ और हो; तो कोई क्या करें ?

दोस्तो पे, संबंधीओ पे, अरे पति- पत्नी और भाई, बहनों पे कर नहीं सकते ऐतबार ।
यह क्या हो गया, अब कहां जा के रुकेगा यह पापो से भरा संसार ?

आग लगा दे, सब को उठा ले, क्यो रहें कोई इस  सडी हुई गंदगी में ।
त्याग कर यह पापी जहान, ध्यान लगाए हम अपना, तेरी बंदगीमे ।

Armin Dutia Motashaw
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