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Armin Dutia Motashaw
Poems
Nov 2018
रिश्तों का हो रहा है व्यापार
ऐ खुदा,
क्यों रिश्तों का हो रहा है आजकल व्यापार?
जो इंसानों में बसता था; कहां खो गया वोह प्यार?
ओ जग के मालिक, क्या पूछ सकती हूं तुझे यह सवाल;
यह क्या हो गया है, तेरी दुनियां का हाल ?
हर जगह जूठ, हर पल धोका, हर रिश्ता खोखला।
यह रिष्टोका खोखलापन देख के , इंसान गया है बौखला ।
घर छोटा हो सकता है पर दिल छोटा हो तो कोई क्या करें ?
दिल मतलब से भरा हो, जुबां पे कुछ और हो; तो कोई क्या करें ?
दोस्तो पे, संबंधीओ पे, अरे पति- पत्नी और भाई, बहनों पे कर नहीं सकते ऐतबार ।
यह क्या हो गया, अब कहां जा के रुकेगा यह पापो से भरा संसार ?
आग लगा दे, सब को उठा ले, क्यो रहें कोई इस सडी हुई गंदगी में ।
त्याग कर यह पापी जहान, ध्यान लगाए हम अपना, तेरी बंदगीमे ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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