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Nov 2018
ओ कान्हा, तूने राधा को रुलाया; और रोई मीरा भी।
ओ निर्मोही, दोनों थे तेरे चाहनेवाले;
मोती, और हीरा भी।
राधा के साथ रास रचाया और मीरा को बनाया रानी से जोगन,
ऐसा भी क्या जादू किया तूने दोनों संग, ओ मेरे मनमोहन !
तड़प उठे दोनों तेरे प्यार में, पर जानी न तूने उनकी पिड;
कब से बन बैठा तु इतना निष्ठुर; अनदेखी की तूने उनकी पीड ।
तु कैसे जानता उनकी तड़प; भीड़ बहुत थी तेरे आसपास ।
तड़प तो वो दोनो जाने, ओ द्वारकाधीश, जग करें उन पर परिहास ।
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