Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Nov 2018
आज फिर तड़प ने लगा है दिल, आज फिर तेरी याद है आयी ।
मुरझाया है चेहरा, आंखो में है आंसू, और सुनी है मेरी कलाई;
क्या करू, दुर दुर तक दिखती नहीं मुझे, तेरी परछाई ।

करे मुझे परेशान, चाह तेरी,  तेरी याद, और यह तन्हाई ;
बरसों से बैठी है यह विरहन, तेरी राह देखे;  बाहे है मैंने फैलाई;
चारों तरफ़, जहां बी जाऊ, एक उदासी है छाई ।

तड़प मेरी आके देखभी जा पिया; दुर कर अब यह तन्हाई
थक गई राह निहारते, तेरी मीरा, ओ मेरे कन्हाई ।
अब तड़प सही न जाए, तुझ बिन अब रहा न जाए, आ भी जा ओ हरजाई ।

Armin Dutia Motashaw
49
 
Please log in to view and add comments on poems