आज फिर तड़प ने लगा है दिल, आज फिर तेरी याद है आयी । मुरझाया है चेहरा, आंखो में है आंसू, और सुनी है मेरी कलाई; क्या करू, दुर दुर तक दिखती नहीं मुझे, तेरी परछाई ।
करे मुझे परेशान, चाह तेरी, तेरी याद, और यह तन्हाई ; बरसों से बैठी है यह विरहन, तेरी राह देखे; बाहे है मैंने फैलाई; चारों तरफ़, जहां बी जाऊ, एक उदासी है छाई ।
तड़प मेरी आके देखभी जा पिया; दुर कर अब यह तन्हाई थक गई राह निहारते, तेरी मीरा, ओ मेरे कन्हाई । अब तड़प सही न जाए, तुझ बिन अब रहा न जाए, आ भी जा ओ हरजाई ।