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Armin Dutia Motashaw
Poems
Nov 2018
आज फिर
आज फिर दिल है बेचैन, तड़प रहा है दिन रैन
आज फिर तेरी याद आयी, कर गई मुझे बेचैन।
सावन आया , तुम न आए, बस बरसे मेरे नैन;
आज फिर तेरी याद आयी, कर गई मुझे बेचैन ।
पुकारेगा तु कभी न कभी, दुर से ही सही; तरस गए मेरे कान, सुन ने तेरे बैन;
आज फिर तेरी याद आयी, कर गई मुझे बेचैन ।
आहट तेरी सुनने को तरस रहा है दिल, दिन रैन;
आज फिर तेरी याद आयी, कर गई मुझे बेचैन ।
अब तो उम्मीद छूट चली, तु न आया; यह तन्हाई बन गई है, तेरी दैन ।
आज फिर तेरी याद आयी, कर गई मुझे बेचैन ।
गीत रूठे, संगीत रूठा, तड़पु मै बिरहन, याद में तेरी, दिन रैन;
आज फिर तेरी याद आयी, कर गई मुझे बेचैन ।
जिया मोरा बेचैन, आश लगाए हैं बैठा; तेरे दर्शन के प्यासे मेरे नैन;
आज फिर तेरी याद आयी, कर गई मुझे बेचैन ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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