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Nov 2018
दर्द सेहना लिखा है तकदीर में, और कितना ?
दाता, सपनों में आके कभी, बता जा जरा इतना ।
सेह नहीं मै पाऊ, तु देना चाहता है जीतना ।

जीवन मेरा, अब बन गया है एक व्यंग।
आ गई हूं मै इस उदासी से, इस जीवनसे तंग ।
तोड़ दे डोर, आज़ाद हो जाएगा यह बिचारा पतंग ।

Armin Dutia Motashaw
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