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Oct 2018
खिलाने वाला खुद भूखा, यह कैसा न्याय
बिचारे खुद भुखसे बिलक बिलाक के करते हैं हाय हाय

नदियों का जल नहीं मिलता उन्हें, तरसते हैं, कब आए बरसात ।
जमीन सुकी, आसमान में नहीं बादल, चिंता रहेती है दिन- रात ।

चलिए किसानों को दे हम, हमारा थोड़ासा साथ ।
भारत के किसानों और वीर जवानों कि तरफ बढ़ाए अपना हाथ ।

Armin Dutia Motashaw
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