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Mohan Jaipuri Feb 2022
जिसके सुरों पर
भारत हमेशा चहका
आज‌ सुर मौन हुए
भारत है भौंचक्का
सदा‌ नहीं यहां किसी
को इस जहां में रहना
गंगा ‌में‌ जैसे जल बहे
तेरे सुरों की धारा
ना रूकेगी कभी बहना
सुरों की जब भी बात होगी
हर दिल ये जरूर कहेगा
वाह !लताजी का क्या कहना।।
# RIP Lata Mangeshkar
Mohan Jaipuri Nov 2024
रुनझुन बजती टालियां, टच-टच हांकता ग्वाल
गधे पर छागल लदी, चले अकाल-सुकाल
रेगिस्तान में बस यही रौनक का पर्याय
बरसे या नहीं बरसे मेहनत तो लेते निकाल।।
Mohan Jaipuri Jul 2024
मनु भाकर देश की शान
कांस्य से बढ़ाया मान
पेरिस में सुन राष्ट्रगान
शूटिंग पर हम कुर्बान।।
Mohan Jaipuri Oct 2024
कई रावण मुझमें हैं
जिनको जीतना मुश्किल है
मैं खुद उनका मुवक्किल हूं
खुद ही उनका वकील हूं।

भले को भला  कहता हूं
खुद की जब बारी आती
सबको भूल जाता हूं
खुद को आगे रखता हूं।
कई रावण मुझमें हैं...

खतरा देख कर डरता हूं
अन्याय अनदेखा कर देता हूं
बोलने का साहस नहीं होता
चुपचाप सह जाता हूं ।
कई रावण मुझमें हैं...

ज्यादा ‌गई थोड़ी रह गई
मंदोदरी अब रही नहीं
स्वाभिमान की सूर्पनखा के
कारण मुश्किल में पड़ जाता हूं ।
कई रावण मुझमें हैं...
अब लम्बी कविताओं का वक्त नहीं
ना ही बचे हैं लम्बे रिश्ते
शोसल मिडिया परोसता वासना के  किस्से
घरों में तड़प रहे मां - बाप से फरिश्ते
किताबें कोई छुता नहीं,डिजिटल बोर्ड टंगे दीवार
ज्ञान कोई लेता नहीं , डिग्रियां बिकती सस्ते
शारीरिक श्रम से विश्वास हटा,रोग मिले महंगे
मशीनों के सहारे ही अब कट रहे हैं रस्ते।।
Mohan Jaipuri Mar 2024
यह जिस्म मेरा बन गया है मेरा ही क़फ़स
कानों गुंजें तेरे लफ्ज़, आंखों में तेरा अक्स।।
Mohan Jaipuri Nov 2023
ऐसे ना मुस्कुराया कीजिए
कहीं हमें प्यार‌ हो जायेगा
कैसे पहुंचेंगे आप तक
दिल कबूतर कहां से लायेगा।।
Mohan Jaipuri Mar 2020
वर्ष -वर्ष सी लंबी मिनटें बन जायें
विष वियोग का पसरे जब आहों में,

टूट कर जीवन धारा‌ बिखर जाये
जब बिछड़ जाये कोई हमदम राहों में,

सांसें खाने लग जायें हिचकोले
धरती अंबर भी लगने लगे झूलते झूले

खुल जाता है भेद जीवन का सारा
जब हो जायें खुशियां खामोश क्षणभर में
Pain   despair       mortality
Still show must go on
Mohan Jaipuri Oct 2024
करवा चौथ नहीं
यह तेरा श्रृंगार
और रूप निखार है
छत पर चढ़ती तेरी
पायल की झंकार है
छलनी में से देखती
आंखों का अंदाज है
अव्वल तो मेरे लिए
तेरे बदन की भीनी
खूशबू  का आगाज है
ज्यों -ज्यों बरस बीते जाएं
खूशबू बढ़ती जाती है
रंग तेरी साड़ी के देख
मेरी रैना इतराती है।
Mohan Jaipuri Jul 2020
कोई कमाए लाखों
फिर भी रोटी खा सके ना हाथों
देख-देख दौलत लिफाफे
बहके बातों - बातों
दूजे कमाएं दुआएं
और सुकृत्य बांटे हाथों
देख-देख दुनिया हरखे
महके दिन और रातों
जो समझे ये कृत्य का फेर
वो कभी  फंसे ना व्यर्थ झंझटों
Mohan Jaipuri Dec 2020
रोज साझा करते हैं
बातें भौतिकता वाली
चलो आज एक दिन
करें बातें कर्मों के सार वाली।

     जब - जब मिलते हैं
     और जो - जो मिलते हैं
     बातें सिर्फ करते हैं
      'मैं' हूं वाली
गीता के प्रकाश में चलो आज
जलाएं इस 'मैं' की होली।

   हमारे शरीर के साथ-साथ इस जहां में
   हम ठिकाना पहले से ही तैयार पाते हैं
    लेकिन यह बात हम
    समझ कब पाते हैं?
गीता के प्रकाश में चलो आज
ढूंढते हैं इस रहस्य की खोली।

     ऐसे लुट रही है जिंदगी
    और हम अनजान बनकर बैठे हैं
    सच तो यह है कि हम व्यर्थ
    इच्छाओं की गठरी लेकर ऐंठे हैं।
आओ गीता के ज्ञान से
इन इच्छाओं की गठरी को कीलें।
Mohan Jaipuri Feb 2020
मोती की कीमत लगाना आसान है
मुश्किल तो मोल उस सृजन का है
जिसमें नेकर(nacre) की परत दर परत
बारीक संघर्ष जुड़ा है
पर हर कोई‌ अनजान‌ है।
Mohan Jaipuri Aug 2019
कविता उस कृति का नाम है
जहां सृजन के शब्द उभरते हैं
प्रेरक प्रसंग मिलते हैं
कल्पनाओं के फूल खिलते हैं
प्यार और प्रीत पल्लवित होते हैं
भावनाओं की ऊंची उड़ान
का नाम है कविता।

नित नये विचारों के प्रवाह
का नाम है कविता
आत्मबोध का मार्ग
प्रशस्त करती है कविता
जिसने अपना‌ ली है कविता
वह‌ बन जाता है
एक जीवित शब्द संहिता ।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
कविता का संसार
कल्पना है
इसका आधार
भंगिमाएं लाती हैं
इसमें निखार
शब्द मिलते
नहीं यहां उधार
शब्द कम हों चाहे
पर होना चाहिए
उनमें भार ।।
Mohan Jaipuri Nov 2024
काम करना तो वही है
जो करते हैं हम शौक से
बाकी तो बस चलता है
जिम्मेदारियों के खौफ से।।
- मोहन सरदारशहरी
Mohan Jaipuri Nov 2024
जिनका काम बोलने लगता है
उनको फिर कौन तोल सकता है।।
Mohan Jaipuri May 2019
अगरिया का नमक उत्पादन
बड़ा निष्ठुर है यह रण का आंगन
चाहे हो पानी बांधना
या हो नमक बुहारना
यह काम खूबसूरती से
करती हैं गुजरात की ललना
बदले में पाती हैं
मर कर भी त्रासद भरी दुर्घटना
धड़ तो जल जाती है
पर पड़े पैरों को गाड़ना
कब आयेगा इनका
मजदूर दिवस सुहाना

अब चाय बागानों की सुनो कहानी
जो फिल्मों में दिखे रूहानी
वहां महिलाएं पत्तियां तोड़ती हैं
पर पत्तियां इन की अंगुलियां फोड़ती हैं
आठ घंटे के खड़े काम से
थककर चूर हो जाती हैं
नींद के लिए सुलाई
इनकी संगिनी हो जाती है
काश !इनकी व्यथा सुनने
कोई मजदूर दिवस आ जाये
और कोई राहत इनको दे जाये

नंदूरबार के मिर्ची उद्योग में
दिखती हैं रंग-बिरंगी जनानीयां
इनकी भी कुछ इतर नहीं‌‌ हैं कहानियां
ना‌ जलन की परवाह
ना‌ मिर्ची की धांस
बस एलर्जी बन‌ जाती है
उम्रभर इनके लिए एक फांस
काश! कोई मजदूर दिवस
इनके लिए भी ले जाए
कोई राहत की आस।
Mohan Jaipuri Oct 2022
आज  पंद्रह अक्टूबर
राजस्थान के काश्तकारों का दिन है
आज के दिन ही काश्तकारी
अधिनियम लागू हुआ था
काश्तकारी अधिनियम से ही
खातेदारी अधिकार मिले हैं
कुंभाराम आर्य जैसे किसान मसीहा
इस धरती‌ पर किसान हित में लड़े हैं
तब जाकर आज कहीं काश्तकर
गर्व से खातेदार कहलाते हैं
वरना जमीं जमींदार की
इस साल तूने जोती
अगले साल‌ किसी‌ और की।।
Mohan Jaipuri Dec 2020
सरकारें आती हैं
सब्सिडी, लोन,
बिजली से भरमाती हैं
कर्ज के परिणामों से अनभिज्ञ!
     किसान हंसता है
     कुछ नकली हंसी
     कुछ राहत की मदहोशी
यह देख सरकार
पैंतरा बदलती है
अनाज को
खुले बाजार की सुपुर्दगी
का निश्चय करती है
     किसान रोता है
     अपना आपा खोने पर
     मजबूर होता है!
Mohan Jaipuri Dec 2020
ये कैसा किसान‌ दिवस आज
किसान बैठे हैं सड़क पर
और खेत हैं सुनसान।
     आज सुनकर इनकी बात
     कुछ तो करो राह‌ आसान
     धरती‌ बिछोना‌ अंबर चादर
     ऊपर से सर्दी है पूरे परवान
यों ही‌ कोई नहीं त्यागता
खुली सड़कों पर‌ प्राण
     जहां शंका है वहीं
     जन्म लेता है समाधान
     जहां विघटन है वहीं
     जन्म लेता है संगठन
बस नियत‌ हो साफ और
उद्देश्य हो कल्याण
      मुद्दा‌ जिद का नहीं है
     ये है किसान के जीवन का सवाल
     उपजाने के‌ बाद में हमेशा ही
     औने-पौने दामों में लुटता उसका माल
बड़े-बड़े व्यापारियों से प्रतिस्पर्धा से
दिला दो इसको त्राण
      कहते हैं देश की समृद्धि का
     रास्ता गुजरता खेत- खलिहानों से
     खेत - खलियान आबाद होते हैं
      किसानों की खुशहाली से
इस देश की खुशहाली को
बचाने का आज करो कोई ऐलान।।















Farmers day is celebrated in India on 23rd Dec. It is the birthday of late PM ch. Charan singh who is known as " champion of india's peasants"
Mohan Jaipuri Dec 2020
उतार आए हैं सिर से
सारे ही बोझ
बैठे हैं सीमा पर चाहे
पुलिस आये या फौज।
       कभी मौसम ने लूटा
       कभी महामारी
       हम सहते रहे
        सारी दुश्वारी
दु:खों की कतार
हमने देखी है रोज।
       अस्तित्व कुछ होता है
       यह हमें ना मालूम
‌        सभी हमें छलते हैं
      हमें पहचान की ना तालीम
धरती से ही जुड़े हैं
बस यही एक मौज।
       हमें किसी से अपेक्षा नहीं
       फिर भी यह कैसी जबरदस्ती
       कृषि सुधार का टोकरा
    लेकर आ गया राज रूपी हस्ति
      सांसे हो गई महंगी गर्दन है सस्ती
अब तो भूल चुके हैं
करना अपनी ही खोज।
Farmers agitation in India.
Mohan Jaipuri Feb 2021
'किस्स' का भी अजीब सा किस्सा है
फूलों को 'किस्स' करो तो भाव
विनम्रता और सरलता का जागता है
एक छोटे बच्चे को 'किस्स' करो
तो मन ऊर्जा से भर जाता है
बीवी को यदि 'किस्स' करो
जीवन में सुकून बना रहता है
प्रेमिका को 'किस्स' करो
तो नशा ज्यादा होता है
पर मन आशंकित ही रहता है।
Mohan Jaipuri Oct 2020
आज दिवस भला उगा
नवरात्र का आगाज
घर में ब्याई कूकरी
लाई पिल्ला पांच
घर गूंजा किलकारी से
मैं रहा हूं‌ पुस्तक बांच
अब दिन जरूर फिरेंगे
यह बात है बिल्कुल सांच।।
Mohan Jaipuri Aug 2021
सुबह तीन किलोमीटर दौड़ लगाई
कृष्ण जन्माष्टमी प्रभु का ध्यान धराई
आपकी कृपा से हलवा बनाई
पहले आप के भोग लगाई
फिर मेरे पेट की हुई भराई
श्रम पहले फिर चाहे जो खाई
यही आदर्श मेरे समझ में आई।।
Happy Krishna Janmashtami to all HPians
Mohan Jaipuri Jun 2020
लाल फूल व हरी पत्तियों वाला
सूट जिसका है आंगन काला
रेगिस्तान हरियाला लगे जब
पहने इसको कंचन वर्ण बाला
उस पर हरियाली चुनर और
मुस्कान का हुनर निराला
आंखें तुझ पर अटक गई
तू ये कैसा जादू कर गई।

मुश्किल तो तब बढी
जब देखे कंगन लाल
खनक इनकी सुन ना पाये
हम रह गए कंगाल
मन में आया अब बाली बन
तेरे कानों में लटक जाऊं
कंगन की खनक में
हर संगीत का आनंद पाऊं
आंखें कानों पर अटक गई
तू यह कैसा जादू कर गई।

मैं मन भर लिखता हूं
तुम सब पढ़ लेती हो
तुम रत्ती भर लिखती हो
मैं कैसे पढूं तुम्हें
इसलिए मेरी आंखें
तुम्हारा आईना बन गई
और तुम पर ही अटक गई
तू यह कैसा जादू कर गई।
Mohan Jaipuri Feb 2020
रिश्ते में...

ना काले गोरे का भान हो
बस सही भावों का उत्थान हो
नकारात्मकता का पतन हो
                               हृदय की बात सुनी जाए
                                  कोई राज बीच ना रह जाए
उम्र की ना कोई चर्चा हो
जमाने की रुसवाई पर ना खफा हों
बस आंखों में विश्वास हो
                            चेहरा ही सब बता जाए
                                  कोई राज बीच ना रह जाए
चांद ,तारे मिले ना मिलें
फूलों से सेज खिले ना खिले
फुर्सत के क्षण मिले ना मिलें
                                आंखों में आशा मिल जाए
                                  कोई राज बीच ना रह जाए
अपनो के आंगन सदा घूमें
स्नेह हमेशा आंचल चूमे
देश - दुनिया में घूमे ना घूमें
                               ख्वाबों की दुनियां ना मुरझाए
‌                             कोई राज बीच ना रह जाए
Mohan Jaipuri Jul 2024
कोटरों में कबूतर रहते
जिनकी नहीं कोई बोली
अब कोटरों में मानव रहते
हालत उनकी भी वैसी हो ली
पहले सेक्टर वाली कोठियां
फिर आये ऊंचे-ऊंचे फ्लैट
बेरोज़गारी ने धीरे-धीरे
सब कुछ दिया समेट।।
Mohan Jaipuri Apr 2024
जहां तक दृष्टि जाती
वहां तक दिखता कोटा
उसके आगे बादल से लटका
दिखता फिर भी कोटा।
सुनहरी आकाश की उपमा
शायद धारण कर ली कोटा
पढ़ने आते बच्चे यहां
पाल सुनहरी सपना मोटा।
डोरिया की साड़ी प्रसिद्ध
गहनों का रुतबा ऊंचा
सात अजूबों की नकल
बात कहती कूंचा-कूंचा।
रिवर फ्रंट ने चमक बढ़ाई
चंबल हो गई स्थल सुहानी
बीचोंबीच शहर से गुजरती
लगती सौन्दर्य की रानी।।
Mohan Jaipuri Apr 2021
कोरोना की जंग में ना करो हृदय तंग
अफवाहें छोड़कर टीके लगवाओ
मन में भरकर त्योंहार जैसी उमंग
कोरोना का नाम तो मिट ही जाए
दुनिया भी देख- देख रह जाये दंग।।
#Had first dose of covishield yesterday. No any kind of problem felt .
Mohan Jaipuri Feb 22
KBC के श्रोताओं में से जिसे
नाम से जानते बासठ प्रतिशत
मेरा फोटो उसके साथ
वाह! कितनी गजब है बात।
चोबीस में थोड़ी हुई मुलाकात
पच्चीस के शुरू में छा गया तात
कुछ लोग रूपये की करते बात
असली सोना तो है औकात।
सदा सरल और सादगी को
हमेशा रखता अपने साथ
ब्यूरोक्रेसी से ज्यादा गणित पर
आज भी आजमाता हाथ।
शेर-ओ-शायरी और गजल
टूट पड़े जो मिले पजल(Puzzle)
रहता मिलकर सबके साथ
नखरे वालों से तंग है हाथ।।
Mohan Jaipuri Apr 2021
तीन शब्दों का यह वाक्य
जिसने पिछले तीन‌ दिन से
उड़ा दी थी मेरी नींद
आया है जो कौटिल्य अर्थशास्त्र से
सदियों से होकर प्रवीण
आज भरी जब आय विवरणी तो
पाया नहीं‌‌ कोई‌ कागज इससे विहीन
बातें की‌ और गूगल किया
तो पाया कुछ ऐसा सार
साझा कर रहा हूं सबसे
आप करना इस पर विचार
कोष तो है राजस्व
मूल से मतलब आधार
दण्ड प्रतीक है
राज्य प्रशासन का
जिससे विकास बनता साकार
इस तरह इस वाक्य का मतलब है
"राजस्व राज्य प्रशासन‌ का आधार "
इसलिए बिना डर करें इसका सत्कार
और बनें देश के विकास में भागीदार।।
Mohan Jaipuri Mar 2020
खुशी का ठिकाना ना जानू
ना दु:ख का प्रमाण
        जो आना है आएगा
        क्यों सूखें मेरे प्राण?
कल तक उड़ते थे आकाश में
आज है घर में विराजमान
        जो मिलता है सहज ही
        करो उसका सम्मान
कल तक हाट बाजार में
तरह-तरह के सामान
        आज रुपया जेब में
        फिर भी बाजार सुनसान
जो कल तक कहते थे
सब कुछ हैं विज्ञान और अनुसंधान
       ‌आज उनके ही तीर को
‌        नहीं मिल रहा कमान
हम तब तक ही कर पाते
        जब तक प्रकृति दे वरदान
        बिन उसकी अनुकूलता
हमारा कोई न मान
जितना यहां मिले मौका
उतनी हंसी कर लूं नाम
‌ ‌    जो आना है आएगा
     क्यों सुखें मेरे प्राण?
Something away from corona.
Why i should  worry ?
Mohan Jaipuri Jul 2020
समय ही अब वह किताब है
जहां मेरे संघर्ष का हिसाब है
दोस्त और सोच अब तुम्हीं हो
जिसके लिए जारी अब करतब है
रास्ता अब तुम्हारी ओर ही  है
जहां विचार-विमर्श की आशा है
बिखरने का अब डर नहीं
ना कोई निखरने की अभिलाषा है।
Mohan Jaipuri May 2021
परेशानी चाहे कितनी भी हो
मैं अपने कपड़ों की क्रीज टूटने नहीं देता
मेरा बस एक यही हुनर है
जो लोगों को सुकून लेने नहीं देता।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
खजाना हर बार हीरे मोती का ही नहीं होता है।
जिसने‌ शब्दों को‌‌ सहेजना और संवारना
सीख लिया वह भी दिलों की तिजोरी भरता है।
Mohan Jaipuri Aug 2024
आज रेगिस्तान में खेती होने लगी  खजूरी
धरती उगाती मेवे , कम होने लगी जी हूजूरी ।।
Mohan Jaipuri Aug 2024
कुछ किताबों का
इतिहास कहीं और का
लिखते - लिखते दौर
हो जाता कहीं और का
पाठक टिप्पणी क्या लिखें
आज शौर है खामोशी का।।
Mohan Jaipuri Jan 2024
खिचड़ी के चार यार
पापड़,घी,दही, अचार
जाड़ों का दिन, सर्दी अपार
मिल गये पांचों एक थाली में
अब काहे का इंतजार।।
Mohan Jaipuri Jul 2020
आज मैंने बनाई खीचड़ी
नजर जिस पर दाता की पड़ी
मैंने खीचड़ी घी भरा
दाता ने मेरा खेत भरा
मैंने झुक-झुक दाता का
गुण गान करा।।
It was a beautiful coincidence that I made khichdi in dinner as garnished it with ghee then the first major rain of this shravan started. I have expressed my joy of this gift by god in this poem.
Mohan Jaipuri Jun 2022
जो चमकती नजरें देखा
करती थीं कभी सपने
वो नजरें हो चली हैं धुंधली
सपने सारे हाथों से फिसले
यादें बन गई हैं अब खुजली।।
Mohan Jaipuri Jul 2022
आज फिर थोड़ा इतरा लेता हूं
यह इतराने का दिन है
जिस दिन बेटी पैदा होती‌ है
उस दिन से  जीवन‌ में
खुशियों की "बीमा‌" हो जाती है।।
Mohan Jaipuri Dec 2022
खुशियों के पल
जीवन में केवल उपहार हैं
घंटों के मेहमान
ये नहीं वफादार है
रंग-बिरंगे तेवर वाले
ये नहीं सदाबहार हैं
ये अविश्वसनीय,अकल्पनीय
जीवन की हकीकत से
इनका कम ही सरोकार है।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
किसी शायर का
ख्वाब हो तुम
उसकी कलम की
परवाज हो तुम
लफ्ज‌ जो होंठों तक
आते आते रुक गए
उन लफ्जों का
अहसास हो तुम
Mohan Jaipuri Apr 2019
प्यार जब करना ही है
तो उससे करो
जो हो पाकीजा
जिसकी आंखे बोलती हों
होंठ गुलाब की पंखुड़ी से हों
खुलें तो खिल-खिलाते हों
चेहरा नूरानी हो
वक्र आकृतियां तूफानी हों
बस ध्यान रखें
गुलाब की संगत कांटो की होती है
सुंदर स्त्री नखरीली होती है
औकात अपनी परख लो
उसके बाद फैसला लो
चल पड़ी तो रंगीन जिंदगी
वरना खूबसूरत बंदगी
और बंदगी लाएगी अद्भुत संजीदगी।
Mohan Jaipuri Nov 2021
अक्कल नै बाड़ी नीपजै , हेत नै हाट बिकाय।
Means wisdom doesn't grow in bed & love isn't found in the market.
Mohan Jaipuri May 2021
खेला तो कई बार होबे
परंतु एक टांग पर प्लास्टर चढ़े
और रणचंडी बन आगे बढ़े
ऐसा मंजर पहली बार होबे
कई टैगोर के लिबास में डूबे
फिर‌ भी चौबे से बन गए दुबे
हाय! ऐसी पिटाई फिर ना होबे।।
# Results of 5 Nos assembly elections in India .# West Bengal TMC victory.
Mohan Jaipuri Sep 2020
तू होती डायरी
मैं होता अल्फाज
तू खुलती
मैं लिखा जाता
होता लेखन
पर नाज
ना दूर होने
का डर होता
साथ- साथ ही
देते हसीन ख्वाबों
को परवाज
Mohan Jaipuri Jun 2022
तू मेरे ख्वाबों की मलिका
तेरा देख चेहरा दिल धड़का

यह दुनिया लागे फीका‌ साग
तू लगे उसका तड़का।

तू मेरे ख्वाबों की मलिका......

गीत दुनिया के लगे शोर
बस तेरे स्वर चितचोर
तू आज खामोश है
पेन कवि का अटका।

तू मेरे ख्वाबों की मलिका......

रंग दुनिया के लगें सब फीके
महक फूलों की गायब
बस तेरा ही श्रृंगार देख
मेरा होता नैन मटक्का।

तू मेरे ख्वाबों की मलिका
तेरा देख चेहरा दिल धड़का।।
Mohan Jaipuri Jan 2020
मूंगफली और गुड़ वाली गजक
दिखने में है ये लाल- पीली गजक
उपलब्ध सबको सहज सुलभ
सर्दी में दे गर्माहट ये गजक
व्यंजन की अद्भुत मिसाल गजक

तिल और चीनी वाली गजक
दिखने में ये है उजली गजक
दांतो की कसरत करती गजक
किट -किट आवाज निकलवाती गजक
सर्दी की किटकिटाहट मिटाती गजक

सूखे मेवों वाली भी आई गजक
अमीरों की भी चाहत बनी गजक
लोहड़ी तक ही रास आती गजक
आओ मिलकर खाएं गजक
गजक खाकर करें धमाल
यह है सर्दी का तोहफा बेमिसाल
Today is festival of Lohri in India which is celebrated with eating Gazak, Rewari Ghewar . The simple and natural food items providing inner warmth in the winter.
Mohan Jaipuri Jan 26
अब लोगों को याद कहां
गणतंत्र का मतलब
एक झण्डे के नीचे खड़े हैं
हर समानता कलमबद्ध
पूछो‌ अपने पूर्वजों से कभी
यूनियन जैक के करतब।।
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